बुधवार, 16 दिसंबर 2020

हवस मिटा सकूं, अब ऐसा कोई इश्क़ चाहिए मुझे । ग़ज़ल । अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' । Avaneesh Ki Ghazal, Shayari

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 5:09 am with No comments
आजिज़ आ चुका हूं रुहानी मोहब्बत से
हवस मिटा सकूं, अब ऐसा कोई इश्क़ चाहिए मुझे

मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

तेरी मोहब्बत भी क्या मोहब्बत थी । ग़ज़ल । अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' । Avaneesh Ki Ghazal

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 3:56 am with No comments
तेरी मोहब्बत भी क्या मोहब्बत थी
तू जिंदगी में आई और मैं तबाह हो गया 

इक दौर था जब मैं बहुत शरीफ़ हुआ करता था, बहुत शरीफ़
हसीना - ए - जहीन से मोहब्बत हुई और बदनाम हो गया

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

फिर से दिसंबर लौट आया (ग़ज़ल) । अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' । Avaneesh Ki Ghazal, Shayari

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 5:29 pm with No comments
मेरा भिजवाया वो अम्बर लौट आया
तू ना आई, फिर से दिसंबर लौट आया

मैंने फूल फेंककर मारा उसके दिल पर
पत्थर दिल थी वो, टकराकर लौट आया

      अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत'

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बुधवार, 9 दिसंबर 2020

बुखार आ गया । Corona Special Rap Song Lyrics - अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत'। Avaneesh Kumar Mishra Song Lyrics

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:45 pm with No comments
आपका आना

मास्क लगाना 

मास्क हटाके

खांस के जाना

बुखार आ गया , रे बुखार आ गया


रैप

ओय लौंडिया 

जो तू मास्क हटायेगी

मास्क हटाके
पास मेरे आयेगी

चुम्मा देते टाइम 
जो तू खांस के जाएगी

भरी जवानी में ओ बेबी

खुद के साथ - साथ
मुझे लेके जाएगी

आपका आना

मास्क लगाना 

मास्क हटाके

खांस के जाना

बुखार आ गया , रे बुखार आ गया

बहना रे । रक्षाबंधन सॉन्ग लिरिक्स - अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' Avaneesh Kumar Mishra Song Lyrics In Hindi

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:39 pm with No comments
बहना रे ओ बहना रे

तेरे बिन नहीं रहना रे

मैं तेरा भाई हूं तू मेरी बहना है
तेरे बिना मुझको इक पल भी ना रहना है

तुझको बसा लूं मैं अपने पलकों में
तू जो साथ हो तो फिर क्या कहना है

ओ०००००००

बहना रे ओ बहना रे

तेरे बिन नहीं रहना रे

उम्रें कट जाएगी कसमों और वादों में
बहुत जोर है इन रेशम के धागों में

राखी बांध लेना जब लाऊं तेरी भाभी को
अबकी कलाई ना बंधेगी इन हाथों में

ओ०००००००

बहना रे ओ बहना रे

तेरे बिन नहीं रहना रे

खून में गर्मी है तो उबाल रखो (ग़ज़ल) अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' । Avaneesh Ki Ghazal

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:31 pm with No comments
खून में गर्मी है तो उबाल रखो
मगर अपनी जवानी संभाल रखो

जिगर में दम हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
बस पर्वत लांघने का उछाल रखो

मोहब्बत करना कोई गुनाह नहीं है
मर्ज़ी उसकी भी हो, इसका ख़याल रखो

मुझसे नाराज़ हो, ये तो आपका हक है
मगर थोड़ी बहुत गुफ़्तगू तो बहाल रखो

मुड़कर देखा नहीं उसने जाने के बाद (ग़ज़ल) - अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत', Avaneesh Ki Ghazal

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:00 pm with No comments
मुड़कर देखा नहीं उसने जाने के बाद
नज़र आई भी तो गुज़रे जमाने के बाद

कहां तक करता उस शख़्स का पीछा मैं
मैं तो राख हो गया था जलाने के बाद

मेरे जां की अस्मत लूट ली गई, ख़बर मिली मुझको
गांव लौटा जब मैं, शहर से कमाने के बाद

कमाई थी अकूत दौलत उसने अपनी जिंदगी में
बहुत हल्के लग रहे थे वे, अर्थी उठाने के बाद

मेरे नाज़ुक हाथों से खिलौने छीने थे उसने बचपन में
मगर बड़े - बड़े सपने दिखाने के बाद

मोहब्बत सही है, मगर तेरी बराबरी कहां उससे
दो थप्पड़ लगाए मां ने, बताने के बाद

दिल बाग़ - बाग़ हो जाता है, मन हिचकोले खाता है
महबूब गले से लगता है जब सताने के बाद

टूट कर चाहो किसी को तो जानो कि लोग
कितना जलील करते हैं दिल लगाने के बाद

बिगड़ जाएंगे 'अवनीश' जालिमों के साथ रहकर
कौन डाटेगा मुझे, तेरे जाने के बाद


गुरुवार, 24 सितंबर 2020

तेरी शादी है ना इसी महीने में । ग़ज़ल । अवनीश कुमार मिश्रा

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:56 am with No comments
बड़ी देर हुआ कुछ तो खा लो
मेरे संग दो लम्हें तो बिता लो

पता है अब तुमसे मिल ना सकूंगा
झूठा ही सही मगर प्यार तो जता लो

सारे अरमां अब अधूरे रहेंगे
जाते - जाते थोड़ा निग़ाह तो मिला लो

अब किसे चूमेंगे अपनी बाहों में समेटकर
आख़िरी सफ़र है गले तो लगा लो

दूर होकर तुम्हें भूल नहीं पाऊंगा
इक बार रोकर तो भुला लो

तेरी शादी है ना इसी महीने में
आऊंगा मैं , न्यौता देकर तो बुला लो

तेरी डोली उठेगी तो देख ना पाऊंगा 
तू मुझे देखेगी ना , कसम तो खा लो

बहुत रोएगा 'अवनीश' जब तू पिया संग सोएगी
इक बार प्यार से गोदी में तो सुला लो

चलो इश्क़ करके देखते हैं | ग़ज़ल | अवनीश कुमार ने

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:51 am with No comments
पराए तवे पर रोटी सेंकते हैं
चलो इश्क़ करके देखते हैं

सुना है अच्छे - अच्छे लगे हैं उसके पीछे
चलो हम भी मोहब्बत का दाना फेंकते हैं

वो लड़की किसी को भाव तक नहीं देती 
सब लौंडे उसके सामने रेंगते हैं

बहुत गुमान उस लड़की को खुद की खूबसूरती पर
चलो हम भी उसकी जवानी का कहर झेलते हैं 

कोई लड़की किसी लड़के पर भरोसा इसलिए नहीं करती
बहाना प्यार का करके जिस्म से खेलते हैं

वो अपने ओर आने का इशारा कर रही है
"अवनीश" चलो उसे बाहों में समेटते हैं

सोमवार, 14 सितंबर 2020

शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

Ghazal - ज़माने भर के दुश्मन हमदर्दियां जताने लगे गले लगाया भी तो छूरिया चलाने लगे | Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:29 am with No comments
ज़माने भर के दुश्मन हमदर्दियां जताने लगे
गले लगाया भी तो छूरिया चलाने लगे

जिनको हमने बचपन में चलना सिखाया था
हम ठोकर क्या खाए , चलना सिखाने लगे

गड्ढे खोदने की औकात नहीं है जिनकी इस जहां में
वो कम्बख़्त भी दरिया बनाने लगे

अच्छे दिनों में जो ऊंचे ख़्वाब दिखाते थे
दिन गिरे मेरे तो कमियां गिनाने लगे

उनके ऊंचे अल्फ़ाज़ से परिंद तक हिले नहीं
मैंने जुबां खोल दी सब उत्पात मचाने लगे
 
अब क्या बताएं की किस तरह से तन्हा हैं हम
जिन लोगों से लिपटते थे वे लोग ही सताने लगे

हम जिसे अपना समझकर खूब इतराते रहे
वो हमारे दरमियां की दूरियां बताने लगे

मां की गोद में महफूज़ हूं तुम फ़िक्र मत करना
ज़िक़्र किया उनसे तो वे प्यार जताने लगे

मेरी मौत हुई, मय्यत उठी, जनाजा निकला
वे जो अज़ीज़ थे, मेरे जिस्म को जलाने लगे

तुम्हारी नवाबी का क्या ख़ौफ है "अवनीश"
तुम चले तो जलने वाले भी कुर्सियां हटाने लगे

New Ghazal Lyrics - मैं वो सांप हूं इक वीरान जंगल का किसी को काट लूं तो लहर ना आए । Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:27 am with No comments
मजबूत इतना बनो की कहर ना आए
तिरपटा चलो कहीं शहर ना आए

मैं वो सांप हूं इक वीरान जंगल का
किसी को काट लूं तो लहर ना आए

तू ही मेरे हर इक मर्ज की दवा है
तू जो घुले तो मुझमें ज़हर ना आए

कर्म इतने अच्छे किए हैं हमने जीवन में
सीधे चलो कहीं बहर ना आए

तेरी जिंदगी तो दरिया है दरिया
सम्भल कर चलो कहीं नहर ना आए

इस क़दर हम तुम समा जाएं इक दूजे में
ज़माना दिया जलाकर देखे तो भी नज़र ना आए

हिम का अंश हो तुम मैं अवगुणों का नाश करता हूं

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

Hindi , Urdu Best Shayari | Dil Ki Bat Thi Sahab , Hawas Tak Nahi | Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:00 am with No comments
दिल की बात थी साहब , हवस तक नहीं
ज़िंदगी भर का वादा था , डगर तक नहीं

जाते - जाते उसे समझाया था मैंने
साथ निभाऊंगा तेरा अधूरे सफ़र तक नहीं

जो करना चाहता है सच्ची मोहब्बत किसी से
उसके पास इक हमसफ़र तक नहीं

इधर - उधर भटकती हैं आत्माएं हसीनाओं की
मैं भी जवां हूं किसी को ख़बर तक नहीं

मैंने मुस्कुराके इक हसीना से बात क्या कर ली
मेरे घर वालों को सबर तक नहीं

वे लोग हमें मिटाना चाहते थे उनके दिल से
खंजर छोड़िए जनाब , उनके पास रबर तक नहीं

कहने को आवारा कुत्ते भी ज़िन्दगी जीते हैं
इज्ज़त से जीना है , बसर तक नहीं

उसके बालों के ख़ुशबू में मशगूल था
ऐसा खंजर घुसाया , कहर तक नहीं

जाने कितने बवंडर झेले हैं हमने आशिक़ी में
बहलाया दिल को , खाया ज़हर तक नहीं

अवनीश किसी और के नहीं हुए , परेशां क्यूं हो
हर बख़त याद करते हैं , कुछ पहर तक नहीं

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

New Hindi , Urdu Shayari | चारो ओर मौत की आंधी है हमें घर नहीं सजाना है | CoronaVirus Special | Gareebo Ki Shayari | By Avaneesh

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:54 am with No comments
चारो ओर मौत की आंधी है हमें घर नहीं सजाना है
मैं पहले से ही दुखी हूं खुशियां नहीं मनाना है

जाने कितनों के घर के चिराग बुझ गए 
हमें घर में दिया नहीं जलाना है

चिराग नहीं पैदा हुआ है हमारे घर में ज़नाब
हमें थाली नहीं बजाना है

बाई का ठुमका नहीं जब कहो तब नाचूं
भाईचारा है हममें , दंगा नहीं कराना है

पूरा संसार कराह रहा है बेहिसाब दर्द से
हमें जलसा नहीं मनाना है

है औकात तो मदद करो किसी जरूरतमंद की
हमें किसी के गरीबी का मज़ाक नहीं बनाना है

रहमत करने कोई ईश्वर - खुदा नहीं आयेगा
हम इंसान हैं , हमें इंसानियत निभाना है

जां है जबतक सबकी बातें उठाएंगे "अवनीश"
क्यों ? जब मरेंगे हम तो अर्थी नहीं उठाना है

मंगलवार, 31 मार्च 2020

Corona Virus Special Song Lyrics - Mere Pyar Ko Corona Ho Gaya | Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:42 am with No comments
खुशियों के जहां में अब तो रोना हो गया
मेरे प्यार को कोरॉना हो गया
मेरे प्यार को कोरॉना हो गया

हरदम मुझको तेरी फ़िकर है
हर लम्हा में तेरा जिकर है
मैं जिंदा हूं ये तेरा असर है
अब तो ख़तम ये मेरा सफ़र है

पहले पाने की चाहत थी तुझको
अाज सनम को खोना हो गया

मेरे प्यार को कोरॉना हो गया
मेरे प्यार को कोरॉना हो गया

प्यार में मेरे तेरा नशा है
रग - रग में तेरा प्यार बसा है
मेरे इश्क पे जग ये हंसा है
जलने वाले मुझसे खफ़ा हैं

प्यार की बगिया सूख गई मेरी
अब तो पौधा लगाना हो गया

मेरे प्यार को कोरॉना हो गया
मेरे प्यार को कोरॉना हो गया

Hindi , Urdu Best Love Shayari | मेरे मन में जितने भी ख़्वाब थे सब खो गए - Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:40 am with No comments
मेरे मन में जितने भी ख़्वाब थे सब खो गए
अब आप भी सो जाइए सब सो गए

ये निगाहें ही हैं जो क़यामत करती हैं
यार हमारी तो निगाह भी कमजोर हो गए

तुम दिल में समाए फिर ये एहसास हुआ
कि बरसो से वीरान घर में अपने आ गए

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

वो दुल्हन सी शर्माती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं | Hindi , Urdu Gazal , Shayari | By Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:05 am with No comments
उसको इक पल ना देखूं तो उड़ा - उड़ा सा रहता हूं
ख़्वाब भी देखूं उसका तो उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

उसकी यादें मेरे दिल पर , इस क़दर छा जाती है
मैं ज़मीं पे बैठा रहता हूं , पर उड़ा - उड़ा सा रहता हूं 

मैं उस राह पर बैठा रहता हूं , जिस राह से वो जाती है
जिस रोज़ नहीं वो जाती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

उसकी भोली सूरत मुझको , रात - रात तड़पाती है 
दिल, दिल को समझाता है , पर उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

मैं रोता रहता हूं , मुझको नींद नहीं आती है
किसी तरह से आती है , पर उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

उसकी आंखो से आंखे मेरी , जब कभी लड़ जाती है
वो दुल्हन सी शर्माती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

सुबह देर को उठता था , अब आंखे जल्दी खुल जाती है
वो कहीं नज़र नई आती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

जिस दिन वो तिरछी नज़रों से , मुझे घूर कर जाती है
सांस वहीं थम जाती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

उसकी मुस्कान में जादू है जो मुझको ख़ुश कर जाती है
जब देख के वो मुस्काती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

वो नदी किनारे की छोरी , ये चंद दूर का छोरा है
वो नदी किनारे मिलती नई , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

उसके गांव को जाता हूं , जब दिल जोर धड़कने लगता है
कहीं नहीं वो दिखती है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

याद करो "अवनीश" राह में तुम्हें सताया करते थे 
वो बख़त बहुत तड़पाता है , मैं उड़ा - उड़ा सा रहता हूं

सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

मेरी वाली की परीक्षा है | New Gazal , Shayari | Sad Shayari By Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:49 am with No comments
इश्क से बढ़कर उसके लिए शिक्षा है
प्यार करे या ना करे ये उसकी इच्छा है

मोहब्बत की बात की तो डाट दी
यार मेरी वाली की परीक्षा है 

"अवनीश" भी पढ़ते हैं , मेरी जान - ए - जाँ
ये मत समझो की मुझमें अशिक्षा है

मैं तेरे दर पर भिखारी बनके आया हूं "***"
एक नज़र देख लो , ये भी भिक्षा है

रविवार, 9 फ़रवरी 2020

Hindi , Urdu Ghazal - Shayari । ज़िन्दगी बहुत लम्बी है , हमें ज़हर नहीं खाना है । Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:51 am with No comments
मुझे अभी बहुत दूर तक जाना है
मैं हूं क्या ये सारी दुनिया को दिखाना है


इन दर्दों की औकात नहीं जो मेरे हौसले डिगा दे

ज़िन्दगी बहुत लम्बी है , हमें ज़हर नहीं खाना है

इतना कहा फिर भी नहीं समझा
अब हमें उनको कुछ नहीं समझाना है

बहुत सजाए ख़्वाब उनके साथ रहने का
अब हमें अपनी अर्थी नहीं सजाना है

हमने ही हर बार उनसे प्यार जताया
अब हमें उनसे प्यार नहीं जताना है

अवनीश कितना प्यार करते हैं , अगर उन्हें नहीं मालूम
तो प्यार कितना है उनसे नहीं बताना है

शनिवार, 25 जनवरी 2020

Deepawali Song Lyrics - Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:06 am with No comments
छोट बड़े सब चहक उठे हैं
छोट बड़े सब चहक उठे हैं
चमक उठे घर द्वार
हो ओ वो
चमक उठे घर द्वार
दीपावली त्यौहार
हो ओ वो...
दीपावली त्यौहार

मैंने कहा कि ये मेरी मैया
पापा हम और बैठे भैय्या
बहना कर रही प्यार
हो ओ वो...
बहना कर रही प्यार
दीपावली त्यौहार
हो ओ वो
दीपावली त्यौहार

इस दिन की है खास कहानी
दादा से हम सुने कहानी
अवनीश को अब भी याद
हो ओ वो
अवनीश को अब भी याद
दीपावली त्यौहार
हो ओ वो
दीपावली त्यौहार

Deshbhakti Gazal , Shayari | हमें तो तिरंगे में लिपटने की हसरत है - Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:58 am with No comments
ना मुझे ऊंचे मकानों की हसरत है
ना ही उड़ते विमानों की हसरत है

मैं हिंदुस्तान का बेटा हूं
मुझे तो हिंदुस्तान की हसरत है

वे लोग जो कहते हैं की हिन्दुस्तानी कायर हैं
हमें उन तथाकथित मर्दों से लड़ने की हसरत है

मरते होंगे लोग रुपए , पैसे पर
हमें तो हिंदुस्तान पे मरने की हसरत है

कफ़न तो सभी को नसीब होती है मरने के बाद
हमें तो तिरंगे में लिपटने की हसरत है

अवनीश को समझना इतना आसान नहीं है
जो समझ गए हैं , हमें उनसे मिलने की हसरत है