बुधवार, 9 दिसंबर 2020

खून में गर्मी है तो उबाल रखो (ग़ज़ल) अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' । Avaneesh Ki Ghazal

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:31 pm with No comments
खून में गर्मी है तो उबाल रखो
मगर अपनी जवानी संभाल रखो

जिगर में दम हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
बस पर्वत लांघने का उछाल रखो

मोहब्बत करना कोई गुनाह नहीं है
मर्ज़ी उसकी भी हो, इसका ख़याल रखो

मुझसे नाराज़ हो, ये तो आपका हक है
मगर थोड़ी बहुत गुफ़्तगू तो बहाल रखो

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