बड़ी देर हुआ कुछ तो खा लो
मेरे संग दो लम्हें तो बिता लो
पता है अब तुमसे मिल ना सकूंगा
झूठा ही सही मगर प्यार तो जता लो
सारे अरमां अब अधूरे रहेंगे
जाते - जाते थोड़ा निग़ाह तो मिला लो
अब किसे चूमेंगे अपनी बाहों में समेटकर
आख़िरी सफ़र है गले तो लगा लो
दूर होकर तुम्हें भूल नहीं पाऊंगा
इक बार रोकर तो भुला लो
तेरी शादी है ना इसी महीने में
आऊंगा मैं , न्यौता देकर तो बुला लो
तेरी डोली उठेगी तो देख ना पाऊंगा
तू मुझे देखेगी ना , कसम तो खा लो
बहुत रोएगा 'अवनीश' जब तू पिया संग सोएगी
इक बार प्यार से गोदी में तो सुला लो