बुधवार, 7 सितंबर 2016

देश जहाँ में आगे बढ़ेगा(कविता)"ये वतन" पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:33 am with 2 comments

ये मेरा देश है

मैं इस देश में रहता हूँ

हिन्दू हो या मुस्लिम या कोई और हो

सभी से मैं कहता हूँ

कि ये हमारा देश है ,

हम इसके बच्चे हैं

दिल के एकदम सच्चे हैं

कोई भी धर्म हो ,

अपनी जगह सब अच्छे है

देश हमारा दानी है ,

हम सब भिखारी हैं

हम तो सिर्फ मुसाफिर हैं ,

देश हमारी गाड़ी है

देश हमारा पेंड़ है ,

हम सब उसके ड़ाली हैं

देश हमारा पौधा है ,

हम सब उसके बाली हैं

हम से देश बनेगा ,

तभी तो आगे बढ़ेगा

हम सब बनाऐंगे मंजिलें ,

तभी तो सींढ़ियाँ चढ़ेगा

एकता से रहो दोस्तों ,

देश जहाँ में आगे बढ़ेगा |


इक कहानी थी (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:30 am with No comments

मैं तेरा राजा था ,

तु मेरी रानी थी |

हम दोनों की इक कहानी थी

जब इश्क की गलियों में मारा मुझे तूने थप्पड़ ,

न मैं तेरा राजा था ,

न तु मेरी रानी थी ||

वो तो स्वप्न की इक कहानी थी |||
  
   

तूने दर्द दे दिया अरे वो बेहया(गजल)दर्द-ए-दिल"किताब"

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 3:04 am with No comments
तूने जो दर्द दिया वो सहते गये ,

तेरे चाहत के समुन्दर में बहते गये |

तेरी नफरत के समुन्दर ने ऐसी हिलोर मारी ,

उस समुन्दर के हिलोर में सब चाहते ढहते गये |

दब गया था गम के मलबे में फिर भी जी लिया

तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |

तेरे याद में अपने घर को मैखाना बना ड़ाला ,

शराबों की बोतलों को राहो में सजा ड़ाला |

रातें जागी मैनें न जाने कितनी ,

अपने स्वर्णिम् शरीर को पागल बना ड़ाला |

शराबों गमों के बदले तूने मुझे क्या दिया

तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया ||

जिल्लत की जिन्दगी जीता रहा मैं ,

गम के आँसुओं को घुट - घुट पीता रहा मैं |

दरस न आयी तुम्हें मेरे वियोग रस पर ,

मोहब्बत में तेरे सुसुक - सुसुक के रोता रहा मैं |

अवनीश कुमार मिश्रा ने फरमाया,गम देने के लिए 

शुक्रिया

तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |||