रविवार, 10 जुलाई 2016

तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई--(गजल)"दर्द-ए-दिल"किताब"

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:55 am with 1 comment

यादों में तेरे कितना मर रहा है ,

तेरी ही गम में आहे भर रहा है

तुम-सा न जग में दुनिया से कह रहा है कोई

तेरे अरमाँ में तकिया लगा रहा है कोई---

तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---|

इश्क से हारा हुआ वो ,

जमाने से ड़रा हुआ वो

गम का मारा हुआ

मैय्यत बना रहा है कोई

इश्क खातिर आँसू बहा रहा है कोई---

तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---||

तुमको बस जानेमन कहा था उसने ,

खींच के थप्पड़ उसे मारा था जो तुमने

डूब कर मर गया तुम्हारे गम में ,

तेरे मोहब्बत में जनाजे पर जा रहा है कोई

तेरे जज्बात में सुपुर्द-ए-खाक हो रहा है कोई---

तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---|||
               
                
              

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