अवारा हो गया (शायरी) Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:04 am with No comments तेरी यादों के बिस्तर पर मैं , सो गया , तेरी बिस्तर के खुशबू में , मैं खो गया | मगर तुमने मुझसे घृणा की इस कदर , मैं तेरी बेवफाई में अवारा हो गया || इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करें Categories: "दर्दीला इश्क" पुस्तक
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें