उसे जब - जब देखता हूँ
बस इक आह निकलती है ,
कि वो हमारी क्यों न हुई |
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पर अब सोंचने से क्या फायदा
शायद हमें ही न था ,
प्यार करने का कायदा |
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हम उन्हें पसंद न थे या वो डरती थी
पता नहीं क्यों वो मुझसे ,
मोहब्बत न करती थी |
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अब किसे इश्क की पड़ी है
जिसे दिल से चाहा वो ,
तो पत्थर दिल निकली |
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दिल ही था , वो भी बिखर गया
अवनीश के सामने अब ,
मौत भी खड़ी है |