मेरे दिल पे छूरी चलाके भाग गई हरजाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
जिस सूरत को देख - देखकर
मन में लड्डू फूटे थे
जिसकी सुन्दर सूरत ने
दिल को मेरे लूटे थे
उस बेवफा ने आज खून की आंसू रुलाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
मुझे तड़पाने की तमन्ना उनके अंदर थी -2
क्योंकि , क्योंकि मेरी जवानी उनके दिल में सरेंडर थी |
जिनकी खुशबू में रहे महकते
वो तो इक हरजाई थी
मेरे सपनों की हत्या कर दी
वो तो इक कसाई थी
जीते जी अवनीश की तूने कब्र खुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे