सोमवार, 28 जनवरी 2019

कैसे सहेंगे जुदाई रे | दर्द भरा हिन्दी गाना | अवनीश कुमार मिश्रा (लेखक , कवि)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:49 pm with No comments

मेरे दिल पे छूरी चलाके भाग गई हरजाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे

जिस सूरत को देख - देखकर
मन में लड्डू फूटे थे
जिसकी सुन्दर सूरत ने
दिल को मेरे लूटे थे
उस बेवफा ने आज खून की आंसू रुलाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे

मुझे तड़पाने की तमन्ना उनके अंदर थी -2
क्योंकि , क्योंकि मेरी जवानी उनके दिल में सरेंडर थी |

जिनकी खुशबू में रहे महकते
वो तो इक हरजाई थी
मेरे सपनों की हत्या कर दी
वो तो इक कसाई थी
जीते जी अवनीश की तूने कब्र खुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे
कैसे सहेंगे जुदाई रे