जब मैं अकेला होता हूं तो सोचता हूं
की कितनी नफ़रत हो गई है खुद से,
किसी से बेपनाह मोहब्बत करते - करते
दीवाना बनाकर गया वो शख्स मुझे
थक गया हूं मैं बगावत करते - करते
उसकी मज़बूरी थी या मर्ज़ी
बिछड़कर तबाह मैं ही हुआ हूं
मेरे अश्कों की कीमत कोहिनूर जितनी
टके के भाव भी कदर न की उसने
अय्याशों के मोहब्बत मुकम्मल हो गए
आशिक! गुमराह मैं ही हुआ हूं
तुम्हारी जुदाई में अगर मैं मर जाऊं
तो ये अपनी मोहब्बत की तौहीन होगी
बिखरेंगे, तड़पेगे, रोएंगे, हद से गुजर जाएंगे
पहले पागल होंगे, खुदकुशी होगी, फिर मर जायेंगे
जाओ कभी अफसोस होगा मेरी बेकदरी की
'अवनीश' मरेंगे तो तू भी गमगीन होगी