शनिवार, 29 अक्तूबर 2016

मैं मर रहा हूँ तेरे याद में तो आपको क्या गम है (गजल)"दर्द-ए-दिल"किताब

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:18 pm with No comments
इश्क करती नहीं मुझे,

तो तेरी आँखे क्यों नम है

मैं मर रहा हूँ तेरे याद में तो आपको क्या गम है

खोया रात भर रहता हूँ ,

तेरे ही सपने हरदम देखा करता हूँ

जब करती नही प्यार मुझसे,दिल को कोसता हूँ

दिल धड़कने लगता है ,

जब तुझको देखता हूँ


इक बार गौर से देखो ,ये चेहरा क्या हसीन कम है

मैं मर रहा हूँ तेरे याद में तो आपको क्या गम है|

चैन छीना,ख्वाब छीना ,

नींद छीन लिया

चढ़ती जवानी में ये सनम,

तुमने दर्द दे दिया

गमों में अपनी आँखों को,दरिया बना ड़ाला

न जाने कितनी शराब ,

मैखाने में पी लिया

दर्दों-गमों के बाद भी,मुझे प्यार न तुमसे कम है

मैं मर रहा हूँ तेरी याद में तो आप को क्या गम है||

तेरे सुरूर के अंधेरे में,चलता रहा मैं

हाय कैसी जवानी मेरी,जवानी से जलता रहा मैं

मेरे पागलपन ने मुझे,दिया जलाने न दिया

शराबों का समुन्दर लिए,

रातभर चलता रहा मैं

कोई और न होगी जिन्दगी में,ये अवनीश कुमार मिश्रा 

की कसम है

मैं मर रहा हूँ तेरे याद में तो आपको क्या गम है|||


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