शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

Hindi , Urdu Best Shayari | Dil Ki Bat Thi Sahab , Hawas Tak Nahi | Avaneesh Kumar Mishra

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:00 am with No comments
दिल की बात थी साहब , हवस तक नहीं
ज़िंदगी भर का वादा था , डगर तक नहीं

जाते - जाते उसे समझाया था मैंने
साथ निभाऊंगा तेरा अधूरे सफ़र तक नहीं

जो करना चाहता है सच्ची मोहब्बत किसी से
उसके पास इक हमसफ़र तक नहीं

इधर - उधर भटकती हैं आत्माएं हसीनाओं की
मैं भी जवां हूं किसी को ख़बर तक नहीं

मैंने मुस्कुराके इक हसीना से बात क्या कर ली
मेरे घर वालों को सबर तक नहीं

वे लोग हमें मिटाना चाहते थे उनके दिल से
खंजर छोड़िए जनाब , उनके पास रबर तक नहीं

कहने को आवारा कुत्ते भी ज़िन्दगी जीते हैं
इज्ज़त से जीना है , बसर तक नहीं

उसके बालों के ख़ुशबू में मशगूल था
ऐसा खंजर घुसाया , कहर तक नहीं

जाने कितने बवंडर झेले हैं हमने आशिक़ी में
बहलाया दिल को , खाया ज़हर तक नहीं

अवनीश किसी और के नहीं हुए , परेशां क्यूं हो
हर बख़त याद करते हैं , कुछ पहर तक नहीं

बुधवार, 8 अप्रैल 2020

New Hindi , Urdu Shayari | चारो ओर मौत की आंधी है हमें घर नहीं सजाना है | CoronaVirus Special | Gareebo Ki Shayari | By Avaneesh

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:54 am with No comments
चारो ओर मौत की आंधी है हमें घर नहीं सजाना है
मैं पहले से ही दुखी हूं खुशियां नहीं मनाना है

जाने कितनों के घर के चिराग बुझ गए 
हमें घर में दिया नहीं जलाना है

चिराग नहीं पैदा हुआ है हमारे घर में ज़नाब
हमें थाली नहीं बजाना है

बाई का ठुमका नहीं जब कहो तब नाचूं
भाईचारा है हममें , दंगा नहीं कराना है

पूरा संसार कराह रहा है बेहिसाब दर्द से
हमें जलसा नहीं मनाना है

है औकात तो मदद करो किसी जरूरतमंद की
हमें किसी के गरीबी का मज़ाक नहीं बनाना है

रहमत करने कोई ईश्वर - खुदा नहीं आयेगा
हम इंसान हैं , हमें इंसानियत निभाना है

जां है जबतक सबकी बातें उठाएंगे "अवनीश"
क्यों ? जब मरेंगे हम तो अर्थी नहीं उठाना है