मुड़कर देखा नहीं उसने जाने के बादनज़र आई भी तो गुज़रे जमाने के बाद
कहां तक करता उस शख़्स का पीछा मैं
मैं तो राख हो गया था जलाने के बाद
मेरे जां की अस्मत लूट ली गई, ख़बर मिली मुझको
गांव लौटा जब मैं, शहर से कमाने के बाद
कमाई थी अकूत दौलत उसने अपनी जिंदगी में
बहुत हल्के लग रहे थे वे, अर्थी उठाने के बाद
मेरे नाज़ुक हाथों से खिलौने छीने थे उसने बचपन में
मगर बड़े - बड़े सपने दिखाने के बाद
मोहब्बत सही है, मगर तेरी बराबरी कहां उससे
दो थप्पड़ लगाए मां ने, बताने के बाद
दिल बाग़ - बाग़ हो जाता है, मन हिचकोले खाता है
महबूब गले से लगता है जब सताने के बाद
टूट कर चाहो किसी को तो जानो कि लोग
कितना जलील करते हैं दिल लगाने के बाद
बिगड़ जाएंगे 'अवनीश' जालिमों के साथ रहकर
कौन डाटेगा मुझे, तेरे जाने के बाद