बुधवार, 9 दिसंबर 2020

मुड़कर देखा नहीं उसने जाने के बाद (ग़ज़ल) - अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत', Avaneesh Ki Ghazal

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:00 pm with No comments
मुड़कर देखा नहीं उसने जाने के बाद
नज़र आई भी तो गुज़रे जमाने के बाद

कहां तक करता उस शख़्स का पीछा मैं
मैं तो राख हो गया था जलाने के बाद

मेरे जां की अस्मत लूट ली गई, ख़बर मिली मुझको
गांव लौटा जब मैं, शहर से कमाने के बाद

कमाई थी अकूत दौलत उसने अपनी जिंदगी में
बहुत हल्के लग रहे थे वे, अर्थी उठाने के बाद

मेरे नाज़ुक हाथों से खिलौने छीने थे उसने बचपन में
मगर बड़े - बड़े सपने दिखाने के बाद

मोहब्बत सही है, मगर तेरी बराबरी कहां उससे
दो थप्पड़ लगाए मां ने, बताने के बाद

दिल बाग़ - बाग़ हो जाता है, मन हिचकोले खाता है
महबूब गले से लगता है जब सताने के बाद

टूट कर चाहो किसी को तो जानो कि लोग
कितना जलील करते हैं दिल लगाने के बाद

बिगड़ जाएंगे 'अवनीश' जालिमों के साथ रहकर
कौन डाटेगा मुझे, तेरे जाने के बाद


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