काहे की खुशी
जब हमारी जिंदगी ही गुमनाम है ,
कुछ ऐसे जी रहा हूँ ,
जैसे राधा बिन श्याम हैं |
न हम प्रेम की गलियों में बदनाम हैं
न राधा और श्याम हैं ,
हम तो इक सताये हुए हैं ,
हमारा तो प्यार भी गुमनाम है |
पता नहीं वो डरती थी या मैं डरता था
वो प्यार करती थी या नहीं,
पर अवनीश प्यार करता था |...
सोमवार, 31 दिसंबर 2018
शनिवार, 15 दिसंबर 2018
उगे , आपके जो सर पे न बाल हो , मेरे प्यारे दोस्तों , मुबारक नया साल हो (नये साल पर शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा (लेखक , कवि)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:21 am with No comments
उगे , आपके जो सर पे न बाल हो
मेरे प्यारे दोस्तों , मुबारक नया साल हो
पत्नी तेरी सुन्दर हो , रेशम जैसे बाल हों
रस भरे ओंठ हो और नरम - नरम गाल हो
दुआ करूँ मैं , जो पटे तुझे माल हों
अपना निकाले काम , जी का जंजाल हो
लम्बी - चौड़ी उम्र रहे , जीवन खुशहाल हो
अवनीश की ओर से आपको , मुबारक नया साल हो...
रविवार, 9 दिसंबर 2018
घुट - घुट के मर जायें | गजल | - अवनीश कुमार मिश्रा (लेखक , कवि)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:27 am with No comments
तुझे छोड़कर हम कहाँ चल जायें
तुझे छोड़कर हम कहाँ चल जायें
घुट - घुट के मर जायें
हो हो घुट - घुट के मर जायें
बोलो...
घुट - घुट के मर जायें |
वो भी क्या ज़माने थे
जब तुम मेरे साथ रहती थी
वो भी क्या ज़माने थे
जब तुम मेरे साथ रहती थी |
छोड़ेंगे न तेरा साथ
हर पल कहा करती थी
छोड़ेंगे न तेरा साथ
हर पल कहा करती थी |
अब तेरे जैसा यार कहाँ पायेंगे
अब तेरे जैसा यार कहाँ पायेंगे
घुट - घुट के मर जायें...
बची - कुची जो याद थी , वो बेहया लूट गई (टूटे दिल की कविता) - अवनीश कुमार मिश्रा मिश्रा (लेखक , कवि)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:12 am with No comments
ऩज़रें भी थक गईं
आस भी टूट गई
बची - कुची जो याद थी
वो बेहया लूट गई
उसे मेरी निग़ाह की
परवाह तक रही नहीं
यही कहीं रही वो
पर दूर - तक दिखी नहीं
जो कभी अऱमान थे
वे टूट कर नीचे गिरे
याद व बेचैनियों से
हम सदा रहे घिरे
इस बात से अंज़ान थे
कि वो मेरी ही प्राण थी
जिसके लिए तड़पा मग़ऱ
फिर भी वो मेरी ज़ान थी
यह सोंचकर मैं गिर गया
फिर भी उठा
झट चल पड़ा
बेचैन सी लड़की
वही जो प्राण मेरा ले...
कुछ सच्चे किन्तु कड़वे बचन - अवनीश कुमार मिश्रा (लेखक , कवि)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:02 am with No comments
सच्चाई को समझो , सच्चाई कड़वी होती है ,
चूतियों की तो बातें ही भंड़वी होती है |
जब सर ओखली में रख दिये तो अंज़ाम की फिकर क्या
जब वो मेरी हो न सकी तो प्यार का जिक्र क्या
वो पहले प्यार सिखाते हैं
फिर औकात दिखाते हैं
हम लगे रहे किसी को बढ़ाने में
तुम सहयोग न कर सके ,
तो लग गये गिराने में
माँ कुछ न दे क्या भगा देंगे
बूढ़ी हुई तो क्या दगा देंगे
बस यूँ ही जिन्दगी में ,...
शनिवार, 13 अक्टूबर 2018
हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया पागल भईल बा दुनिया रे ( भोजपुरी लोकगीत ) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:11 am with No comments
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हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया
पागल भईल बा दुनिया रे
हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया
पागल भईल बा दुनिया रे
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आज के यहि समइया में भइया
लोक - लज्जा खतम होय गा
पहले रहले सब माई औ बाबू
अब तो सब कुछ सनम होय गा - 2
लौंडे भी पहले माई रटत रहले अब तो रटेले सजनियाँ रे
हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया
पागल भईल बा दुनिया रे
हो जबसे उतरल बा तन से...
सोमवार, 8 अक्टूबर 2018
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:45 am with No comments
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मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में ,
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
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नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना ,
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती थी
×××××××××××××××××××××××××××××××
तुझसे...
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:44 am with No comments
मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती ...
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:44 am with No comments
मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती ...
शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018
ज़िन्दगी ने हमें इस कदर रुलाया है (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:10 am with No comments
ज़िन्दगी ने हमें इस कदर रुलाया है
जब - जब ग़म दिया तब - तब भुलाया है
ज़िन्दगी आज हमसे हुई बेवफा है
मौत के नींद में आज हमको सुलाया है |
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हम तो अकेले भी जी लेते
उसने ही हमारे दिल को उकसाया था
और आज , आज वही कहती है
कि तेरे पास कौन आया था ||
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फिर भी हम दर्द सहकर जी लेते
गर उसने हमें फिर बुलाया न होता
सारे शिकवे मिटा देते उनके लिए
अवनीश...
गुरुवार, 16 अगस्त 2018
अटल रहे ये अटल हमारा , दुश्मन सारे नंगा हों (कविता) अटल जी को श्रद्धांजलि के स्वरूप उनको समर्पित Avaneesh Kumar mishra
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:41 am with No comments
अटल रहे ये अटल हमारा , दुश्मन सारे नंगा हों
जनगण मन अधिनायक जय और विजयी विश्व तिरंगा हो
सदियों - सदियों तक याद रहेंगे
जन - जन की पहचान रहेगें
अब नहीं रहे तो सब सूना है
रो - रोकर सब लोग कहेंगे
वो ही थे विश्वास हमारे , अब कौन हमारे संगा हो
अटल रहे ये अटल हमारा , दुश्मन सारे नंगा हों
ये क्षति नहीं , बस राजनीति की
वे भारत माँ के भक्ता थे
वे पत्रकार एवं कविवर थे
वे एक कुशल वक्ता भी थे
अवनीश कहे...
शनिवार, 7 जुलाई 2018
तेरे ओठों की मुस्कान याद आती है (ग़ज़ल) - Avaneesh kumar mishra (writer, poet)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:00 am with No comments
तू जो कहती थी तेरी बात याद आती है
तेरे ओठों की मुस्कान याद आती है
तू जो कहती थी कि तू क्यूट बहुत है
तेरे मुख की वो जुबान याद आती है
तेरे ओठों की मुस्कान याद आती है
तू जो कहती थी तुमसे प्यार बहुत है
तेरे दिल की वो आवाज याद आती है
तेरे ओठों की मुस्कान याद आती है
तू जो कहती थी तुझे छोड़ के न जायेंगें
तेरे दिल में क्या अवनीश की याद आती हैं
तेरे ओठों की मुस्कान याद आती है...
बुधवार, 20 जून 2018
दिल जला तो आँसू निकल आयेंगे (शायरी) - Avaneesh kumar mishra (writer,poet)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 8:54 am with No comments
मुझे अपनी जिन्दगी से दूर कर दो
पर इतना मत दूर कर दो कि हमारी जिन्दगी यूँ ही सुनसान गुजर जाये
अपने दिल से हमें दूर कर दो
पर इतना मत दूर कर दो कि दिल टूटकर बिखर जाये
हमारी जिन्दगी यूँ ही सुनसान कर दो तुम
दिल में हमारे आग लग जायेगी
हमारे दिल के आगों से
तुम्हारा प्यार दिल से जल जायेगी
दिल जला तो आँसू निकल आयेंगे
तेरे दिल में खुशी खूब भर जायेगी
किसीे और से दिल लगा लेगी तुम
अवनीश को याद न...
गुरुवार, 7 जून 2018
जिन्दगी में जिसने हमें हँसना सिखाया था(शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:54 am with No comments
उसके चरणों की आहट ने हमें बेकरार कर डाला
सारा जीवन ही उसके लिए हमने बर्बाद कर डाला
वो आयी जिन्दगी में तो सपने खूब देखें हम
हमारी चाहतों का उसी ने खून कर डाला
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चाहतें थी जुदाई की मगर हम बेखबर ही थे
धार ऐसी थी कि इश्क से महरूम कर डाला
हमारी झुकी निगाहों पे भी उसको शर्म न आयी
हँसी भरी जिन्दगी को उसने सून कर डाला
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जिन्दगी में जिसने...
मंगलवार, 5 जून 2018
काहे नाही मोरे सजनवा बम्बई से कबहू आवैं हो
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 5:13 am with No comments

कशमकश करा ता हमरो जवनिया
कोई न टाँका भिड़ावै हो -2
काहे नाही मोरे सजनवा
काहे नाही मोरे सजनवा बम्बई से कबहू आवैं हो -2
जब से तू गईला तबसे न अईला
तड़पेली मोर जवानी हो
रोजे देखेली तोहरे सपनवा
भईल जवानी मोर पानी हो -2
तोहरे वियोग में ऐ हो बलमुआ कुछू न हमका भावै हो
काहे नाही मोरे सजनवा
काहे नाही मोरे...
मंगलवार, 22 मई 2018
चप्पल खाने के बाद भी खड़े रहते हैं (हास्य शायरी) अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:39 am with No comments
कोई जुल्फों से दिल को लुभाती है
कोई आँखों से गोली चलाती है
बराबर खर्च चलता रहे
इसलिए लड़कियाँ लड़कों को फंसाती हैं
हम तो कुत्ता हुए इनके प्यार में
इक चुम्मा था माँगा उधार में
वो धीरे से मेरे पास आयी
और और क्या इक चाँटा लगा दिया गाल में
दिल लगायें तो साला टूट जाता है
शरीर बेचारा लूट जाता है
बड़ा टेन्शन है इश्क में यारों
फंसे तो आशिक बेचारा कूट जाता है
पता नहीं क्यों लोग इश्क में पड़े रहते हैं
दिल...
शनिवार, 19 मई 2018
हम अंजान थे नजरों से उनके (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:42 am with No comments
हम अंजान थे नजरों से उनके
उनकी नजरें हमें गिराना चाहती थीं
जिन्हें समझा था कि गिरेंगे तो उठायेंगें
वही ताकते हमें मिटाना चाहती थीं
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हम सम्भले तो वे मात खा गये
जिन्होंने हमें गिराने का ख्वाब देखा था
हम संभले तो उनका गुरूर टूटा
जिन्होंने हमें मिटाने का ख्वाब देखा था
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हमसफर बनकर रह सकते थे मगर
उन्हें खुद पर बड़ा गुरूर था
वे अवनीश...
सोमवार, 7 मई 2018
आँखें ही आँखों से दूर हो गई (शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:44 pm with No comments
आँखें भरी हमारी थी
वो खूब हँस रहे थे
बेशर्म है बेचारा
कह तंज कस रहे थे
यकीन न था वो वो ही थी
जिसके लिए ये नयन बह रहे थे
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जिनके लिए जिया था
वो दूर हो गई
मेरी लाचार आँखें
मजबूर हो गई
कभी आँखों से बातें हुआ करती थी
आज आँखें ही आँखों से दूर हो गई
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टूटकर बिखर गई
ख्वाब जो हमारे थे
आँसू भी बिखर गई
जिसे प्यार से संभाले थे
ये अवनीश थे...
शनिवार, 7 अप्रैल 2018
जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम (गज़ल) अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:15 am with No comments
बाजी जीत कर भी बाजी हार जाना तुम
जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम
हमें दिल से लगाना न सही
दिल से दो -चार थप्पड़ मार देना तुम
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जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम
जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम
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बाग - बगीचे में हर जगह याद आती तुम
बचपन की यादों में भी याद आती तुम
पल - पल मर रहा हूँ तेरी याद में
अवनीश के धड़कनों...
सोमवार, 2 अप्रैल 2018
तेरी जुल्फों में जो फूल है सनम् (शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:58 pm with No comments
तेरी जुल्फों में जो फूल है सनम्
मेरी देंह में जो खून है सनम्
पता नहीं क्यों मेरा खून
तेरे फूल की ओर दौड़ता है
हमें लगता है कि ये मेरी भूल है सनम्
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जो मेरा मन तुमपे मरता है
देखकर लोगों का दिल जलता है
दिलों के जलने से मेरा मन
तेरे पर और लगता है
हम नहीं मरते आपके लिए ,ये मन मेरा मचलता है
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बेवफाई किया मन ने तेरी तरह
अपने मन को कैसे समझायें...
शुक्रवार, 23 मार्च 2018
आशिक को सब कुछ लुटाना पड़ा(शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:21 am with No comments
किसी को आसूँ बहाना पड़ा
किसी को जान गंवाना पड़ा
मत करना प्यार भाईयो
सबको प्यार की कीमत चुकाना पड़ा
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ये जो दुनिया है बड़ी जालिम है
आशिक को सब कुछ लुटाना पड़ा
हीर रांझां तो बस कुछ नाम हैं
लाखों को गर्दन कटाना पड़ा
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इश्क क्या ये तो बहुतो ने किया
चन्द लोगों को उसको निभाना पड़ा
बस प्यार से जिन्दगी कटती नहीं
टुकड़ों के लिए कमाना पड़ा
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अवनीश...
सोमवार, 19 मार्च 2018
गज़ब की आग है (रोमांटिक शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:15 am with No comments
गज़ब की आग है यारों कसम उनकी जवानी में ,
कोई तो राज है यारों कसम उनकी जवानी में |
वो आकर पास में कहती ऐ जान,
आग में जल भी जाते हम कसम उनकी जवानी में ...
रविवार, 4 मार्च 2018
क्या पता था इश्क में ठोकरें खायेंगे(गजल)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:47 am with No comments
क्या पता था इश्क में ठोकरें खायेंगे
इस तरह से मोहब्बत की सजा पायेंगे - 2
वो तो चली गयी हमें छोड़कर ,||
दो शब्द प्यार के तरस जायेंगे ||
क्या पता था इश्क में ठोकरें खायेंगे
इस तरह से मोहब्बत की सजा पायेंगे -2
मतलबों की दुनिया है पता चल गया ,||
चार दिन में सब जन गुजर जायेंगे ||
क्या पता था इश्क में ठोकरें खायेंगे
इस तरह से मोहब्बत की सजा पायेंगे -2
वो सुहाने जमाने गुजर ही गयें ,||
फूल राहों में मेरे...
शनिवार, 24 फ़रवरी 2018
तेरे इश्क का वो सनम आया है (गजल)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:29 pm with No comments
तेरे इश्क का वो सनम आया है
देखते देखते दिन गुजर आया है -2
जिन्दगी की ये मोती बिखरनी न थी ,||
चोट ऐसी लगी कि बिखर आया है ||
तेरे इश्क का वो सनम आया है
देखते देखते दिन गुजर आया है -2
आग इतना लगाके बदन में मेरे ,||
किसी और पर दिल तेरा आया है ||
तेरे इश्क का वो सनम आया है
देखते देखते दिन गुजर आया है -2
अपनी तिरछी नजरिया से घायल किया ||
दिल मेरा ये तभी से सिहर आया है ||
तेरे इश्क का वो सनम आया है
देखते...
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