रविवार, 9 दिसंबर 2018

घुट - घुट के मर जायें | गजल | - अवनीश कुमार मिश्रा (लेखक , कवि)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:27 am with No comments

तुझे छोड़कर हम कहाँ चल जायें
तुझे छोड़कर हम कहाँ चल जायें
घुट - घुट के मर जायें
हो हो घुट - घुट के मर जायें
बोलो...
घुट - घुट के मर जायें |

वो भी क्या ज़माने थे
जब तुम मेरे साथ रहती थी
वो भी क्या ज़माने थे
जब तुम मेरे साथ रहती थी |
छोड़ेंगे न तेरा साथ
हर पल कहा करती थी
छोड़ेंगे न तेरा साथ
हर पल कहा करती थी |

अब तेरे जैसा यार कहाँ पायेंगे
अब तेरे जैसा यार कहाँ पायेंगे

घुट - घुट के मर जायें
हो हो घुट - घुट के मर जायें
बोलो...
घुट - घुट के मर जायें |

हम करें भी तो प्यार किसे करें
जिससे हुआ , बस सपनों में

तुम्हारी निगाहों से
निगाहें मिलाते थे
तुम्हारी निगाहों से
निगाहें मिलाते थे |
तेरी वीरान गलियों में
बस हम अकेले जाते थे
तेरी वीरान गलियों में
बस हम अकेले जाते थे |

अब अवनीश किस गली को जायेंगे
अब अवनीश किस गली को जायेंगे

घुट - घुट के मर जायें
हो हो घुट - घुट के मर जायें
बोलो...
घुट - घुट के मर जायें |

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