सच्चाई को समझो , सच्चाई कड़वी होती है ,
चूतियों की तो बातें ही भंड़वी होती है |
जब सर ओखली में रख दिये तो अंज़ाम की फिकर क्या
जब वो मेरी हो न सकी तो प्यार का जिक्र क्या
वो पहले प्यार सिखाते हैं
फिर औकात दिखाते हैं
हम लगे रहे किसी को बढ़ाने में
तुम सहयोग न कर सके ,
तो लग गये गिराने में
माँ कुछ न दे क्या भगा देंगे
बूढ़ी हुई तो क्या दगा देंगे
बस यूँ ही जिन्दगी में , कुछ पड़ांव ऐसे थे ,
पता नहीं वो कैसे थे
ज़िन्दग़ी में लड़की न हो तो सब सून रहता है .....
अगर हो तो साला , ठंड में भी मई , जून रहता है ....
खोखा खाया हुआ आदमी भूल सकता है
मगर धोखा खाया हुआ आदमी कभा नहीं
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें