सोमवार, 31 दिसंबर 2018

कुछ ऐसे जी रहा हूँ , जैसे राधा बिन श्याम हैं (दर्द भरी शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा लेखक , कवि

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:28 am with No comments

काहे की खुशी
जब हमारी जिंदगी ही गुमनाम है ,
कुछ ऐसे जी रहा हूँ ,
जैसे राधा बिन श्याम हैं |

न हम प्रेम की गलियों में बदनाम हैं
न राधा और श्याम हैं ,
हम तो इक सताये हुए हैं ,
हमारा तो प्यार भी गुमनाम है |

पता नहीं वो डरती थी या मैं डरता था
वो प्यार करती थी या नहीं,
पर अवनीश प्यार करता था |

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