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मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में ,
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
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नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना ,
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती थी
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तुझसे प्यार करने की न चाहत है अब मुझमें
वो क्या वक्त थे जब आँखें सौ बार लड़ती थी
अवनीश था जब तुम्हारे प्यार में पागल ,
आँखें तुम्हारी बेवफा औरों से मिलती थी |
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