शनिवार, 7 अप्रैल 2018

जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम (गज़ल) अवनीश कुमार मिश्रा

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:15 am with No comments

बाजी जीत कर भी बाजी हार जाना तुम
जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम
हमें दिल से लगाना न सही
दिल से दो -चार थप्पड़ मार देना तुम

×××××××××××××××××××××××××××××××

जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम
जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम

×××××××××××××××××××××××××××××××

बाग - बगीचे में हर जगह याद आती तुम
बचपन की यादों में भी याद आती तुम
पल - पल मर रहा हूँ तेरी याद में
अवनीश के धड़कनों में भी याद आती तुम

×××××××××××××××××××××××××××××××

जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम
जो दिल से आह निकले तो हमें सम्भाल लेना तुम

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें