क्या बताऊं तेरी याद कितना आती है
किस तरह रोते - रोते रात गुज़र जाती है
मैं आंखें बंद करके सोना चाहता हूं
मगर तेरी सूरत नज़र आती है।
मैं क्या करूं किस तरह
अपने घांओं पे मरहम लगाऊं
मेरा कोई और है भी नहीं
कि उसी में दिल लगाऊं
तुझको भूल जाऊं
या फांसी पे झूल जाऊं
आखिर कौन सा गुनाह किया है हमने
जो इतनी बड़ी सजा दी है तुमने
तुमने मुझे ये आसरा क्यूं दिया कि अभी रुको
कुछ दिनों में मैं तेरी हो जाऊंगी
पागल, जानेजां, मेरी मोहब्बत, मेरी ईश्वर
मैंने तुझे प्यार नहीं किया, पूजा की है
मैं तेरा आशिक नहीं, तेरा सेवक हूं
तू मुझे इक बार दर्शन दे और कहे
कि तुम इस दर्द के काबिल नहीं हो
तुम मेरे साथ रहो, मेरे गोदी में रहो
जैसे मां की गोदी में पल्लू के बीच बच्चा
हंसता है रोता है, नादानी करता है
तुम कहो की अब तुम्हारा इम्तिहान ख़त्म
अब तुम हमारे हो
और मैं तुम्हारे आंचल में मुख छुपाकर
इतना रोऊं, तुझे अहसास हो जाए कि
जब मेरे रहते हुए इतना रोता है तो
मेरे इतंजार की घड़ी में कितना रोया होगा
सच! मानों अब मैं हार चुका हूं
मैं बहुत होनहार था हार मुझे पसंद न थी
मगर तेरी बेरुखी ने मेरे हौंसले को तोड़ डाला
मगर अवनीश तुझे इसी तरह मोहब्बत करते रहेंगे
त्याग, तपस्या, समर्पण सब मिलेगा आपको
मगर हमको तुम न मिलोगी
मुझे मिलेगा सुकून
कि हमने इक लड़की के लिए सारी जिंदगी गुज़ार दी
ये जानते हुए कि वो कभी हमारी न होगी
न प्यार मिलेगा उसका
न डोली उतरेगी मेरे आशियाने में
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