रफ़्ता - रफ़्ता मोहब्बत का नशा उतर रहा है । नज़्म । अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:30 pm with No comments उसका बाप मराभाई मराबहन मरीमां मर गईसब मर गएतन्हा - तन्हा था खुदइक बेवफ़ा से मोहब्बत कीअब वो भी मर रहा हैअरे न पूछो उसकाहाल - ए - दिल 'अवनीश'वो जाने किस हाल से गुज़र रहा हैजब से ज़हर खाके बचा उसके गम मेंरफ़्ता - रफ़्ता मोहब्बत का नशा उतर रहा है इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करें Categories: अवनीश की नज़्म
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