सोमवार, 18 अप्रैल 2022

Happy New Year 2022 - नए साल मेरी पुकार और व्यथा । अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत'

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:58 am with No comments
वह तरसती निगाहों से देख रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझसे गुफ़्तगू करना चाहती हो। ये बताना चाहती हो की हम दूर क्यूं हैं? गलती किसकी है? शायद! उसे अपने कुछ फैसलों को लेकर ग्लानि हो रही हो! वो कहना चाहती हो की कोई किसी को इतना टूटकर चाह कैसे सकता है? जितना आप मुझे। कुछ भी हो अंतिम के कईं डिस्टेंस मुलाकातों में ऐसा लग रहा था। मगर समय की दाद देनी पड़ेगी वो हमें बर्बाद कर दिया। इस दिल में जो भी गम है समय को लेकर है। समय कुछ भी...
मेरी चाहत में क्या कमी हो सकती है? ऐसा कौन सा गुनाह है ए मेरे कुदरत!, मैने तेरा क्या बिगाड़ा है? मेरे सारे गुनाह मुआफ कर दे, ए मेरे कुदरत मुझे तुझसे यही गुज़ारिश है। मेरा क़ासिद बनकर तू मेरी महबूबा को ख़बर दे दे की तेरा दीवाना अब हद से गुज़र चुका है। उसकी मुराद पूरी कर दे। इक बार अपना दीदार करा दो फ़िर उसकी जां ले लेना।

मैं हर इक दिन आगे बढ़ ही रहा हूं, अगर नए साल में हमें कुछ मिले तो सिर्फ़ वो मिले और कुछ भी न मिले। न दुःख मिले, न दर्द, न तन्हाई मिले, न रुसवाई। 

बहुत तोहमतें मिली है हमें मोहब्बत में
अगर तू भी न मिलेगी तो मर जाऊंगा

कहने को तो बहुत है......

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