शुक्रवार, 1 जनवरी 2021

Ghazal - ज़माना शोर करता है तो शोर करने दो । अवनीश कुमार मिश्रा 'मोहब्बत' Zamana Shor Karta Hai Shor Karne Do । Avaneesh Ki Ghazal

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:21 pm with No comments
ज़माना शोर करता है तो शोर करने दो
मोहब्बत कर रहां हूं, थोड़ा और करने दो

सर्दी की अंधेरी रात में भी आपको, चाहत हमारी खींच लाई है 
आके गले मिलो, शीत पड़ रही है तो पड़ने दो

कितना ख़ुदग़र्ज़ हो गया है ये जमाना, जेहन में ये है कि
किसी का घर उजड़ता है तो उजड़ने दो

कोई किसी का अपना नहीं है इस जहां में
लोग बिछड़ना चाहते हैं, तो बिछड़ने दो

अगर है हौंसला तो जहां को घूम लेंगे हम
जलने वाले पर कुतरते हैं, तो कुतरने दो




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