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इश्क करती नहीं मुझे,
तो तेरी आँखे क्यों नम है
मैं मर रहा हूँ तेरे याद में तो आपको क्या गम है
खोया रात भर रहता हूँ ,
तेरे ही सपने हरदम देखा करता हूँ
जब करती नही प्यार मुझसे,दिल को कोसता हूँ
दिल धड़कने लगता है ,
जब तुझको देखता हूँ
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इक बार गौर से देखो ,ये चेहरा क्या हसीन कम है
मैं मर रहा हूँ तेरे याद...
शनिवार, 29 अक्टूबर 2016
सोमवार, 24 अक्टूबर 2016
देश मेरा आजाद हुआ (कविता)"ये वतन" पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:30 am with 1 comment
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जब अंग्रेजों का आगाज हुआ ,
तब देश मेरा बर्बाद हुआ
किसान मेरे कंगाल हुए ,
गोरे सब मालामाल हुए
कितनो पर अत्याचार हुए ,
कितनो पर कितने वार हुए
हद से ज्यादा गदर हुए ,
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न जाने वे किस कदर हुए
माँ की गोदी सून हुई ,
पत्नी सिंदूर विहीन हुई |
देश को मेरे लूट लिया था ,
राजाओं में फूट किया था
मेरे पवित्र सी धरती...
बुधवार, 7 सितंबर 2016
देश जहाँ में आगे बढ़ेगा(कविता)"ये वतन" पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:33 am with 2 comments
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ये मेरा देश है
मैं इस देश में रहता हूँ
हिन्दू हो या मुस्लिम या कोई और हो
सभी से मैं कहता हूँ
कि ये हमारा देश है ,
हम इसके बच्चे हैं
दिल के एकदम सच्चे हैं
कोई भी धर्म हो ,
अपनी जगह सब अच्छे है
देश हमारा दानी है ,
हम सब भिखारी हैं
हम तो सिर्फ मुसाफिर हैं ,
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देश हमारी गाड़ी है
देश हमारा पेंड़...
इक कहानी थी (शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:30 am with No comments
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मैं तेरा राजा था ,
तु मेरी रानी थी |
हम दोनों की इक कहानी थी
जब इश्क की गलियों में मारा मुझे तूने थप्पड़ ,
न मैं तेरा राजा था ,
न तु मेरी रानी थी ||
वो तो स्वप्न की इक कहानी थी |||
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तूने दर्द दे दिया अरे वो बेहया(गजल)दर्द-ए-दिल"किताब"
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 3:04 am with No comments
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तूने जो दर्द दिया वो सहते गये ,
तेरे चाहत के समुन्दर में बहते गये |
तेरी नफरत के समुन्दर ने ऐसी हिलोर मारी ,
उस समुन्दर के हिलोर में सब चाहते ढहते गये |
दब गया था गम के मलबे में फिर भी जी लिया
तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |
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तेरे याद में अपने घर को मैखाना बना ड़ाला ,
शराबों की बोतलों को राहो में सजा ड़ाला...
रविवार, 28 अगस्त 2016
बेवफा ये तूने क्या किया(शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:14 am with No comments
बेदर्द था मैं ,
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उसने दर्द दे दिया
जब तक दर्द सह सका ,
तब तक सह लिया |
इक दिन जब दर्द ने ,
मारा तेज ठोकर
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मुख से यकायक निकल पड़ा ,
बेवफा ये तूने क्या किया ||
&nbs...
भरी जवानी में तड़पता रहा मैं(शायरी)"दर्दीला इश्क"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:09 am with No comments
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तेरे प्यार में मरता रहा मैं ,
तेरे इश्क के लिए भटकता रहा मैं |
तूने मेरे प्यार पर मार दिया ठोकर ,
भरी जवानी में तड़पता रहा मैं ||
हम अपने पाठकों के सुविधा के लिए अपनी रचनाओं का
व्याख्या(अर्थ) भी प्रस्तुत कर रहे हैं , जरूर पढ़ें |
इस पंक्ति में शायर नायक के विरह का वर्णन करते हुए
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कह रहे हैं कि नायक अपने...
अवारा हो गया (शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:04 am with No comments
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तेरी यादों के बिस्तर पर मैं , सो गया ,
तेरी बिस्तर के खुशबू में , मैं खो गया |
मगर तुमने मुझसे घृणा की इस कदर ,
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मैं तेरी बेवफाई में अवारा हो गया ||
&nbs...
रविवार, 10 जुलाई 2016
तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई--(गजल)"दर्द-ए-दिल"किताब"
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:55 am with 1 comment
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यादों में तेरे कितना मर रहा है ,
तेरी ही गम में आहे भर रहा है
तुम-सा न जग में दुनिया से कह रहा है कोईतेरे अरमाँ में तकिया लगा रहा है कोई---
तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---|
इश्क से हारा हुआ वो ,
var uid = '154756';
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जमाने से ड़रा हुआ वो
गम का मारा हुआ
मैय्यत बना रहा है कोई
इश्क खातिर आँसू बहा रहा है कोई---
तेरी...
शुक्रवार, 1 जुलाई 2016
हम अभी तक जिन्दा हैं (कविता)"ये वतन"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 4:06 am with 1 comment
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क्या आतंकवाद क्या जातिवाद
क्या हिन्दू ,मुस्लिम दंगा है
इन तीनों को तोड़ फेकने के लिए अभी तक जिन्दा हैं
मुम्बई बहुत झेल चुका
अब अत्याचार मिटाना है
जनता और सरकार सभी मिलकर
आतंकवाद भगाना है
कश्मीर ,पंजाब तो सहन कर चुका
दहशत में बंगा है
इन तीनों को तोड़ फेकने के लिए अभी तक जिन्दा हैं |
ब्रहमण,क्षत्रिय,वैश्य,सूद्र को साथ-साथ रहना है
तू हिन्दू...
तिरंगा फहराते(कविता)"ये वतन"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 4:06 am with 1 comment
गर हम होतें आजादी में जाकर शत्रु से लड़ जाते
फिर चाहे जो हो जाता विजयी तिरंगा फहराते
हम लिए तिरंगा आगे बढ़ते ,
चाहे पर्वत भी टकरा जाते
लेकर शपथ निज वतन की ,
आगे-आगे बढ़ते जाते
चाहे सर कटते मेंरे ,
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चाहे होश-हवाश उड़ते जाते
सच बोल रहा हूँ ये मित्रों ,
मृत्युलोक में भी जश्न मनाते
फिर चाहे जो हो जाता विजयी तिरंगा फहराते |
हम वीर सैन्य आगे बढ़तें...
लहू बहा देंगे(कविता)"ये वतन"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:56 am with 1 comment
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वीर जवाँ हूँ इसी देश का
इस देश को न झुकने देंगे
लेकर हाँथों में खड़ग
सर काटेंगे कटवा भी लेंगे
कट जाऐंगे सर फिर भी आखिरी तक लड़ते रहेंगे
हम अपने वतन के खातिर अपना लहू बहा देंगे |
हम अपने वतन के खातिर अपना लहू बहा देंगे |
भारत वासी हैं हम सब जन
गैर गुलामी नहीं सहेंगे
बर्छी और भाले लेकर
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हम...
गुरुवार, 30 जून 2016
वो कौन है (कविता )"ये वतन"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:41 am with 1 comment
वो कौन है जो इस कदर प्यार कर रहा है
वो कौन है जो करोंड़ो की मदद कर रहा है
वो कौन है जो दूसरों के लिए लड़ रहा है
वो कौन है जिससे शत्रु ड़र रहा है
वो कौन है जिससे वतन सँवर रहा है |
वो हमारे देश का सहारा है
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वो वतन का सितारा है
वो गिरि का सहारा है
वो वतन का दुलारा है
वह चन्दा है
वह तारा है
वह वतन का रक्षक है
सभी से न्यारा है
सभी का प्यारा...
मंगलवार, 28 जून 2016
वह देश है मेरा हिन्दुस्तान (कविता)"ये वतन"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:15 am with 3 comments
जहाँ हर वासी है भोला-भाला ,
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और हर वासी है वीर जवान
जहाँ रग-रग में बहती आजादी,
सैनिक चलते सीना-तान
वह देश है मेरा हिन्दुस्तान|
जहाँ बहती है गंगा सरयू ,
सब करते उसमें स्नान
जहाँ सरोवर के तट पर ,
कोयल करती कुह-कुह गान
वह देश है मेरा हिन्दुस्तान||
जहाँ हिन्दू ,सिक्ख,इसाई रहते,
और रहते हैं मुसलमान
var uid = '154756';
var wid = '330588';
जहाँ...
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