×××××××××××××××××××××××××××××××
हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया
पागल भईल बा दुनिया रे
हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया
पागल भईल बा दुनिया रे
×××××××××××××××××××××××××××××××
आज के यहि समइया में भइया
लोक - लज्जा खतम होय गा
पहले रहले सब माई औ बाबू
अब तो सब कुछ सनम होय गा - 2
लौंडे भी पहले माई रटत रहले अब तो रटेले सजनियाँ रे
हो जबसे उतरल बा तन से ओढ़निया
पागल भईल बा दुनिया रे
हो जबसे उतरल बा तन से...
शनिवार, 13 अक्टूबर 2018
सोमवार, 8 अक्टूबर 2018
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:45 am with No comments
×××××××××××××××××××××××××××××××
मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में ,
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
×××××××××××××××××××××××××××××××
नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना ,
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती थी
×××××××××××××××××××××××××××××××
तुझसे...
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:44 am with No comments
मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती ...
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:44 am with No comments
मैं जिसे प्यार करता था वो किसी और से प्यार करती थी
हम जिसे दिल में रखते थे वो औरो की बाहों में रहती थी
पता नहीं क्या सोंचती थी वो हमारे बारें में
जहाँ भी मिलती नजरें चार करती थी |
नजरें चार करने से मेरी धड़कन नहीं काबू में
ऐसा लगता है कि मुझसे प्यार करती थी
वो एकटक देखना , हँसना , शरमाना
लगता था कि जैसे प्यार का इकरार करती ...
शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018
ज़िन्दगी ने हमें इस कदर रुलाया है (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:10 am with No comments
ज़िन्दगी ने हमें इस कदर रुलाया है
जब - जब ग़म दिया तब - तब भुलाया है
ज़िन्दगी आज हमसे हुई बेवफा है
मौत के नींद में आज हमको सुलाया है |
×××××××××××××××××××××××××××××××
हम तो अकेले भी जी लेते
उसने ही हमारे दिल को उकसाया था
और आज , आज वही कहती है
कि तेरे पास कौन आया था ||
×××××××××××××××××××××××××××××××
फिर भी हम दर्द सहकर जी लेते
गर उसने हमें फिर बुलाया न होता
सारे शिकवे मिटा देते उनके लिए
अवनीश...
सदस्यता लें
संदेश (Atom)