आँखें भरी हमारी थी
वो खूब हँस रहे थे
बेशर्म है बेचारा
कह तंज कस रहे थे
यकीन न था वो वो ही थी
जिसके लिए ये नयन बह रहे थे
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जिनके लिए जिया था
वो दूर हो गई
मेरी लाचार आँखें
मजबूर हो गई
कभी आँखों से बातें हुआ करती थी
आज आँखें ही आँखों से दूर हो गई
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टूटकर बिखर गई
ख्वाब जो हमारे थे
आँसू भी बिखर गई
जिसे प्यार से संभाले थे
ये अवनीश थे जो संभल गये
अच्छे - अच्छे ठेके के सहारे थे
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