रविवार, 10 जुलाई 2016

तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई--(गजल)"दर्द-ए-दिल"किताब"

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:55 am with 1 comment
var uid = '154756'; var wid = '330588'; यादों में तेरे कितना मर रहा है , तेरी ही गम में आहे भर रहा है तुम-सा न जग में दुनिया से कह रहा है कोईतेरे अरमाँ में तकिया लगा रहा है कोई--- तेरी यादों में जिन्दगी गंवा रहा है कोई---| इश्क से हारा हुआ वो , var uid = '154756'; var wid = '330588'; जमाने से ड़रा हुआ वो गम का मारा हुआ मैय्यत बना रहा है कोई इश्क खातिर आँसू बहा रहा है कोई--- तेरी...

शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

हम अभी तक जिन्दा हैं (कविता)"ये वतन"पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 4:06 am with 1 comment
var uid = '154756'; var wid = '330588'; क्या आतंकवाद क्या जातिवाद क्या हिन्दू ,मुस्लिम दंगा है इन तीनों को तोड़ फेकने के लिए अभी तक जिन्दा हैं मुम्बई बहुत झेल चुका अब अत्याचार मिटाना है जनता और सरकार सभी मिलकर आतंकवाद भगाना है कश्मीर ,पंजाब तो सहन कर चुका दहशत में बंगा है इन तीनों को तोड़ फेकने के लिए अभी तक जिन्दा हैं | ब्रहमण,क्षत्रिय,वैश्य,सूद्र को साथ-साथ रहना है तू हिन्दू...

तिरंगा फहराते(कविता)"ये वतन"पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 4:06 am with 1 comment
गर हम होतें आजादी में जाकर शत्रु से लड़ जाते फिर चाहे जो हो जाता विजयी तिरंगा फहराते हम लिए तिरंगा आगे बढ़ते , चाहे पर्वत भी टकरा जाते लेकर शपथ निज वतन की , आगे-आगे बढ़ते जाते चाहे सर कटते मेंरे , var uid = '154756'; var wid = '330588'; चाहे होश-हवाश उड़ते जाते सच बोल रहा हूँ ये मित्रों , मृत्युलोक में भी जश्न मनाते फिर चाहे जो हो जाता विजयी तिरंगा फहराते | हम वीर सैन्य आगे बढ़तें...

लहू बहा देंगे(कविता)"ये वतन"पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:56 am with 1 comment
var uid = '154756'; var wid = '330588'; वीर जवाँ हूँ इसी देश का इस देश को न झुकने देंगे लेकर हाँथों में खड़ग सर काटेंगे कटवा भी लेंगे कट जाऐंगे सर फिर भी आखिरी तक लड़ते रहेंगे हम अपने वतन के खातिर अपना लहू बहा देंगे | हम अपने वतन के खातिर अपना लहू बहा देंगे | भारत वासी हैं हम सब जन गैर गुलामी नहीं सहेंगे बर्छी और भाले लेकर var uid = '154756'; var wid = '330588'; हम...