बड़ी देर हुआ कुछ तो खा लोमेरे संग दो लम्हें तो बिता लोपता है अब तुमसे मिल ना सकूंगाझूठा ही सही मगर प्यार तो जता लोसारे अरमां अब अधूरे रहेंगेजाते - जाते थोड़ा निग़ाह तो मिला लोअब किसे चूमेंगे अपनी बाहों में समेटकरआख़िरी सफ़र है गले तो लगा लोदूर होकर तुम्हें भूल नहीं पाऊंगाइक बार रोकर तो भुला लोतेरी शादी है ना इसी महीने मेंआऊंगा मैं , न्यौता देकर तो बुला लोतेरी डोली उठेगी तो देख ना पाऊंगा तू मुझे...
गुरुवार, 24 सितंबर 2020
चलो इश्क़ करके देखते हैं | ग़ज़ल | अवनीश कुमार ने
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:51 am with No comments
पराए तवे पर रोटी सेंकते हैंचलो इश्क़ करके देखते हैंसुना है अच्छे - अच्छे लगे हैं उसके पीछेचलो हम भी मोहब्बत का दाना फेंकते हैंवो लड़की किसी को भाव तक नहीं देती सब लौंडे उसके सामने रेंगते हैंबहुत गुमान उस लड़की को खुद की खूबसूरती परचलो हम भी उसकी जवानी का कहर झेलते हैं कोई लड़की किसी लड़के पर भरोसा इसलिए नहीं करतीबहाना प्यार का करके जिस्म से खेलते हैंवो अपने ओर आने का इशारा कर रही है"अवनीश"...
सोमवार, 14 सितंबर 2020
हिन्दी दिवस पर शायरी मेरा तन - मन सब कुछ हिन्दी हो - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 4:40 am with No comments
रग - रग में तेरा लहू बहेमेरा तन - मन सब कुछ हिंदी...
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