गुरुवार, 24 सितंबर 2020

तेरी शादी है ना इसी महीने में । ग़ज़ल । अवनीश कुमार मिश्रा

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:56 am with No comments
बड़ी देर हुआ कुछ तो खा लोमेरे संग दो लम्हें तो बिता लोपता है अब तुमसे मिल ना सकूंगाझूठा ही सही मगर प्यार तो जता लोसारे अरमां अब अधूरे रहेंगेजाते - जाते थोड़ा निग़ाह तो मिला लोअब किसे चूमेंगे अपनी बाहों में समेटकरआख़िरी सफ़र है गले तो लगा लोदूर होकर तुम्हें भूल नहीं पाऊंगाइक बार रोकर तो भुला लोतेरी शादी है ना इसी महीने मेंआऊंगा मैं , न्यौता देकर तो बुला लोतेरी डोली उठेगी तो देख ना पाऊंगा तू मुझे...

चलो इश्क़ करके देखते हैं | ग़ज़ल | अवनीश कुमार ने

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:51 am with No comments
पराए तवे पर रोटी सेंकते हैंचलो इश्क़ करके देखते हैंसुना है अच्छे - अच्छे लगे हैं उसके पीछेचलो हम भी मोहब्बत का दाना फेंकते हैंवो लड़की किसी को भाव तक नहीं देती सब लौंडे उसके सामने रेंगते हैंबहुत गुमान उस लड़की को खुद की खूबसूरती परचलो हम भी उसकी जवानी का कहर झेलते हैं कोई लड़की किसी लड़के पर भरोसा इसलिए नहीं करतीबहाना प्यार का करके जिस्म से खेलते हैंवो अपने ओर आने का इशारा कर रही है"अवनीश"...

सोमवार, 14 सितंबर 2020