इतनी रात को आए हो कुछ काम है क्या
बुझे - बुझे से लगते हो ज़ुकाम है क्या
ये सर्दी , ज़ुकाम , खांसी सब कहने की बात है
सच! बोलो , तुम्हे इश्क़ का बुखार है क्या
क्यों बोला नहीं जा रहा
किसी ने कस के जकड़ा है क्या
यार हमने तो सिर्फ आपका हाथ पकड़ा है
हाथ भी छुड़ा रही हो और जा भी नहीं रही हो
यार कुछ लफड़ा है क्या
आंखों से लगता है तेरा भी मन कर रहा है
अरे पिछड़ रही हो क्या
अभी छोटी हो इश्क के खेल में
डर रही हो क्या
ये अवनीश हैं जो संभाल रहे हैं खुद को
नखरा वाली झिझक रही हो क्या
बुझे - बुझे से लगते हो ज़ुकाम है क्या
ये सर्दी , ज़ुकाम , खांसी सब कहने की बात है
सच! बोलो , तुम्हे इश्क़ का बुखार है क्या
क्यों बोला नहीं जा रहा
किसी ने कस के जकड़ा है क्या
यार हमने तो सिर्फ आपका हाथ पकड़ा है
हाथ भी छुड़ा रही हो और जा भी नहीं रही हो
यार कुछ लफड़ा है क्या
आंखों से लगता है तेरा भी मन कर रहा है
अरे पिछड़ रही हो क्या
अभी छोटी हो इश्क के खेल में
डर रही हो क्या
ये अवनीश हैं जो संभाल रहे हैं खुद को
नखरा वाली झिझक रही हो क्या
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