तू है क्या यार तू मुझे रास्ता बताती है
अरे ये वही रास्ता है जहां मेरी सुबह - शाम होती थी
अब बस करना यार और कितना झूठ बोलोगे
हम से कहती हो की किसी और से तो नहीं बोलोगे
सब जानकर तू क्यों अंजान बनती है पगली
ये वही जगह है जहां तेरी - मेरी मुलाक़ात होती थी
इतने दिनों में बड़े किस्से सुने हैं तेरे
सुना है अब बेवफा हो गई हो
मेरे दोस्त कहते हैं कि तू गरीब है
तो ये बता कि जिस छत से तू अवनीश को देखती थी वो आलीशान मकां किसका है |
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