कोई जुल्फों से दिल को लुभाती है
कोई आँखों से गोली चलाती है
बराबर खर्च चलता रहे
इसलिए लड़कियाँ लड़कों को फंसाती हैं
हम तो कुत्ता हुए इनके प्यार में
इक चुम्मा था माँगा उधार में
वो धीरे से मेरे पास आयी
और और क्या इक चाँटा लगा दिया गाल में
दिल लगायें तो साला टूट जाता है
शरीर बेचारा लूट जाता है
बड़ा टेन्शन है इश्क में यारों
फंसे तो आशिक बेचारा कूट जाता है
पता नहीं क्यों लोग इश्क में पड़े रहते हैं
दिल...
मंगलवार, 22 मई 2018
शनिवार, 19 मई 2018
हम अंजान थे नजरों से उनके (शायरी) - अवनीश कुमार मिश्रा
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:42 am with No comments
हम अंजान थे नजरों से उनके
उनकी नजरें हमें गिराना चाहती थीं
जिन्हें समझा था कि गिरेंगे तो उठायेंगें
वही ताकते हमें मिटाना चाहती थीं
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हम सम्भले तो वे मात खा गये
जिन्होंने हमें गिराने का ख्वाब देखा था
हम संभले तो उनका गुरूर टूटा
जिन्होंने हमें मिटाने का ख्वाब देखा था
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हमसफर बनकर रह सकते थे मगर
उन्हें खुद पर बड़ा गुरूर था
वे अवनीश...
सोमवार, 7 मई 2018
आँखें ही आँखों से दूर हो गई (शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:44 pm with No comments
आँखें भरी हमारी थी
वो खूब हँस रहे थे
बेशर्म है बेचारा
कह तंज कस रहे थे
यकीन न था वो वो ही थी
जिसके लिए ये नयन बह रहे थे
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जिनके लिए जिया था
वो दूर हो गई
मेरी लाचार आँखें
मजबूर हो गई
कभी आँखों से बातें हुआ करती थी
आज आँखें ही आँखों से दूर हो गई
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टूटकर बिखर गई
ख्वाब जो हमारे थे
आँसू भी बिखर गई
जिसे प्यार से संभाले थे
ये अवनीश थे...
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