बुधवार, 27 दिसंबर 2017

हम आँसू बहाते रह गये (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 9:22 pm with No comments
............................................................... वो हमें प्यार का मतलब समझाते रह गये अपनी बाते से हमें उलझाते रह गये -2 दिल क्या होता ऐ मेरे जाने जिगर बस फिजूल की बाते बताते रह गये -2 हम सनम् चूर थे उनके प्यार में -2 वो बाँहो में आकर चली गयी हम आँसू बहाते रह गये -2                  अवनीश कुमार...

मंगलवार, 26 दिसंबर 2017

जब किसी से प्यार हो जाऐ (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:45 am with No comments
............................................................... कुदरत करे आपको किसी से टकरार हो जाऐ | उससे मिलने को तुम्हारा दिल बेकरार हो जाऐ || तुम्हारे दिल को वो छू ले ऐ मेरे दोस्त ||| हमें भी इत्तला करना जब किसी से प्यार हो जाऐ ||||                                ...

बुधवार, 13 दिसंबर 2017

हम चले थे मोहब्बत बाँटने (शायरी) "दर्दीला इश्क" पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 5:54 pm with No comments
हम चले थे मोहब्बत बाँटने कुछ बाँटा और कुछ बाँटते ही रहे | जब आयी बारी अपनी मोहब्बत पाने की हम अपने सनम को ताकते ही रहे || आँखों से आँखें मिली जब कभी , डांटती रही वो हम डांट खाते रहे ||| इसका वीडियो देखने के लिए इस पर क्लिक करें...

गुरुवार, 28 सितंबर 2017

पीछे हटते नहीं

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 4:07 am with No comments
हमारे देश पर बुरी नजरें टिकाने वालों देश में दहशत फैलाने वालों || -2 हम तो जिगरवाले हिन्दुस्तानी हैं ऐसे गीदड़ भभकी से डरते नहीं हम पहले किसी पर वार करते नहीं और कोई करता है तो पीछे हटते नहीं || -2 Sunny lione HD vid...

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

हम अपने भारत को सर्वश्रेष्ठ बनायेंगें

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:31 am with No comments
हम हमारे देश की ऐसी पीढ़ी हैं जो कुछ भी कर जाऐगी अपने देश के लिए चाहे तुम जितना जतन लगाओ चाहे जितना गोली बरसाओ हम तो पीछे नहीं हटेंगें हाँ नहीं हटेंगें सबसे डटेंगें कुछ परिश्रम कर लो तुम कुछ और दूध को पी लो तुम हम नहीं हटेंगे तेरे जैसे कायर से हम नहीं हटेंगे तेरे बन्दूक के फायर से अरे तू क्या जाने दशभक्ति क्या होती है तेरे तो रग - रग में कमीना पन है हमारे यहाँ किताबों में बीतता बचपन है तुम्हारें...

हम तुम्हारे प्यार में क्या - क्या हुये सनम्

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:12 am with No comments
हम तुम्हारे प्यार में क्या - क्या हुये सनम् क्या - क्या बनेगें और हम बता दो ये सनम् हम तुम्हारे प्यार में पागल थे कभी पागल न था पर पागल कहते थे सभी फिर भी तुम्हारे गलियों में जाता रहा मैं न पागल हूँ न पागल हूँ बताता रहा मैं कितनो ने मारा मुझे चप्पल निकालकर कुछ ने तो मारा मुझे ताने मारकर पर दिल के मारे बेचारे को दर्द न हुआ जब तूने मेरे दिल पे चोट दिया तो कह पड़ा कैसा है यह करम् हम तुम्हारे प्यार...

अब चलो कुछ और करें हम |

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:02 am with No comments
बहुत हो चुका ये सब वो सब अब चलो कुछ और करें हम चलो चलो चलो हाँ सभी चलो हम भी , तुम भी , वो भी , ये भी , आप भी चलो न चलो हम उनके याद में कुछ करते हैं जिन्होंने देश आजाद कराया अपना सब कुछ त्यागा जिसने , हमने उनको कर दिया पराया नहीं , ये हम न होंने देंगें हम आज चलेंगे लोगों को बतायेंगें इनकी गौरव कथाओं को फिर चलेंगे इनके समाधि पर कुछ पुष्प , पत्तियाँ चढ़ायेंगें दो - चार पक्तियाँ महानता और गौरव...

अब चलो कुछ और करें हम | देशभक्ति कविता | अवनीश कुमार मिश्रा (लेखक , कवि)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:43 am with No comments
बहुत हो चुका ये सब वो सब अब चलो कुछ और करें हम चलो चलो चलो हाँ सभी चलो हम भी , तुम भी , वो भी , ये भी , आप भी चलो न चलो हम उनके याद में कुछ करते हैं जिन्होंने देश आजाद कराया अपना सब कुछ त्यागा जिसने , हमने उनको कर दिया पराया नहीं , ये हम न होंने देंगें हम आज चलेंगे लोगों को बतायेंगें इनकी गौरव कथाओं को फिर चलेंगे इनके समाधि पर कुछ पुष्प , पत्तियाँ चढ़ायेंगें दो - चार पक्तियाँ महानता और गौरव...

हम अपने भारत को सर्वश्रेष्ठ बनायेंगें

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 1:39 am with No comments
हम हमारे देश की ऐसी पीढ़ी हैं जो कुछ भी कर जाऐगी अपने देश के लिए चाहे तुम जितना जतन लगाओ चाहे जितना गोली बरसाओ हम तो पीछे नहीं हटेंगें हाँ नहीं हटेंगें सबसे डटेंगें कुछ परिश्रम कर लो तुम कुछ और दूध को पी लो तुम हम नहीं हटेंगे तेरे जैसे कायर से हम नहीं हटेंगे तेरे बन्दूक के फायर से अरे तू क्या जाने दशभक्ति क्या होती है तेरे तो रग - रग में कमीना पन है हमारे यहाँ किताबों में बीतता बचपन है तुम्हारें...

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

चलो चलें इतिहास बनायें (कविता) "ये वतन" पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:45 am with 2 comments
चलो चलें इतिहास बनायें चलो चलें इतिहास बनायें अपने देश से भ्रष्टों को अपने देश से कष्टों को अपने देश से आतंकवादी को अपने देश से नक्सलवादी को संग मिलकर दूर भगायें चलो चलें इतिहास बनायें चलो चलें इतिहास बनायें अपने देश के शासन को अपने देश के प्रशासन को अपने देश की जनता को अपने देश की महानता को पूर्ण रूप से शुद्ध बनायें चलो चलें इतिहास बनायें चलो चलें इतिहास बनायें अपने देश की माटी से कश्मीर...

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

सनम बेवफा सनम हो गई (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:58 pm with No comments
इक दिन जब स्वप्न में तुम मेरी बाहों में सो गई , जमाना , रस्म क्या है सब भुला के खो गई | मैं प्यार से तुमको सनम जानेमन कहा करता था , धोखा दिया स्वप्न ने सनम बेवफा सनम हो गई ...

जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:57 pm with No comments
जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको , अपने हिन्दुस्तान से मर जाऊँगा , मिट जाऊँगा या जीता रहूँगा शान से जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको , अपने हिन्दुस्तान से |-2 मेरे मन में है देश समाया हुआ जैसे समाया हो मन में समंदर कोई , दिल के हर इक धकड़न में आती हैं यादें जैसे याद आती हो लड़की सुन्दर कोई -2 हमारे शरीर की सांसे चल रही हैं अपने देश के नाम से जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको , अपने हिन्दुस्तान से...

बुधवार, 29 मार्च 2017

मैं गरीब हूँ न (कहानी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:54 am with No comments
रात का वक्त है आकाश में बादल गड़गड़ा रहे हैं मगर पानी नहीं बरस रहा है बिजली चमक रही है | चारो ओर सन्नाटा है भला रात बारह बजे कौन जागे सभी गहरी नींद में सो रहे हैं गाँव के बीचो - बीच में एक झोपड़ी है वहाँ रात बारह बजे भी आवाज आ रही है परन्तु वो आवाज , आवाज नहीं इक तड़पन थी जो हर किसी के पास नहीं होती , कोई उसे पाना भी नहीं चाहता , हाँ मगर देखा बहुतो ने है कुछ ने सिर्फ देखा है कुछ ने अनुभव भी...

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

होली का त्यौहार है आया (कविता)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:41 am with No comments
<a href="https://yllix.com/publishers/825427" target="_blank"><img src="//ylx-aff.advertica-cdn.com/pub/728x90.png" border="0" /></a> var uid = '154756'; var wid = '330588'; var uid = '154756'; var wid = '330588'; होली का त्यौहार है आया | खुशिया झोली भरकर लाया | बच्चो के मन में उल्लास जगा  , अब हम नाचें गायेंगें| वृद्ध ,  जवाँ भी सोंच रहे कि जमकर मौज उड़ायेंगें...