बेदर्द था मैं ,
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उसने दर्द दे दिया
जब तक दर्द सह सका ,
तब तक सह लिया |
इक दिन जब दर्द ने ,
मारा तेज ठोकर
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मुख से यकायक निकल पड़ा ,
बेवफा ये तूने क्या किया ||
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रविवार, 28 अगस्त 2016
भरी जवानी में तड़पता रहा मैं(शायरी)"दर्दीला इश्क"पुस्तक
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:09 am with No comments
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तेरे प्यार में मरता रहा मैं ,
तेरे इश्क के लिए भटकता रहा मैं |
तूने मेरे प्यार पर मार दिया ठोकर ,
भरी जवानी में तड़पता रहा मैं ||
हम अपने पाठकों के सुविधा के लिए अपनी रचनाओं का
व्याख्या(अर्थ) भी प्रस्तुत कर रहे हैं , जरूर पढ़ें |
इस पंक्ति में शायर नायक के विरह का वर्णन करते हुए
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कह रहे हैं कि नायक अपने...
अवारा हो गया (शायरी)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 7:04 am with No comments
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तेरी यादों के बिस्तर पर मैं , सो गया ,
तेरी बिस्तर के खुशबू में , मैं खो गया |
मगर तुमने मुझसे घृणा की इस कदर ,
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मैं तेरी बेवफाई में अवारा हो गया ||
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