शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

चलो चलें इतिहास बनायें (कविता) "ये वतन" पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 12:45 am with 2 comments
चलो चलें इतिहास बनायें चलो चलें इतिहास बनायें अपने देश से भ्रष्टों को अपने देश से कष्टों को अपने देश से आतंकवादी को अपने देश से नक्सलवादी को संग मिलकर दूर भगायें चलो चलें इतिहास बनायें चलो चलें इतिहास बनायें अपने देश के शासन को अपने देश के प्रशासन को अपने देश की जनता को अपने देश की महानता को पूर्ण रूप से शुद्ध बनायें चलो चलें इतिहास बनायें चलो चलें इतिहास बनायें अपने देश की माटी से कश्मीर...

गुरुवार, 17 अगस्त 2017

सनम बेवफा सनम हो गई (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:58 pm with No comments
इक दिन जब स्वप्न में तुम मेरी बाहों में सो गई , जमाना , रस्म क्या है सब भुला के खो गई | मैं प्यार से तुमको सनम जानेमन कहा करता था , धोखा दिया स्वप्न ने सनम बेवफा सनम हो गई ...

जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:57 pm with No comments
जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको , अपने हिन्दुस्तान से मर जाऊँगा , मिट जाऊँगा या जीता रहूँगा शान से जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको , अपने हिन्दुस्तान से |-2 मेरे मन में है देश समाया हुआ जैसे समाया हो मन में समंदर कोई , दिल के हर इक धकड़न में आती हैं यादें जैसे याद आती हो लड़की सुन्दर कोई -2 हमारे शरीर की सांसे चल रही हैं अपने देश के नाम से जाँ से भी ज्यादा प्यार है मुझको , अपने हिन्दुस्तान से...