होली का त्यौहार है आया |
खुशिया झोली भरकर लाया |
बच्चो के मन में उल्लास जगा , अब हम नाचें
गायेंगें|
वृद्ध , जवाँ भी सोंच रहे कि जमकर मौज
उड़ायेंगें |
बच्चों ने साफ कह दिया , सबका चैन उड़ायेंगें,
अबकी बार होली खेलने दूर - दूर तक जायेंगे|
कोई कहता है इस होली में महँगे कपड़े लाऊँगा |
कोई कहता है इस होली में गुझिया खूब खाऊँगा |
कोई कहता है इस होली को अपने घर नहीं
मनाऊँगा,
होली की छुट्टी पाते ही नानी के घर जाऊँगा|
गाँव के जिम्मेदार लोगों ने यह विचार बनाया है,
अबकी बार की होली में अबीर उड़ायेंगें|
खतरनाक रंगों को तजकर ,
प्राकृतिक होली मनायेंगें|
अवनीश कुमार मिश्रा ने भी सोचा है कि
जमकर धूम मचायेंगें |
गर न ला न सके अबीर तो होली नहीं मनायेंगें
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