रात का वक्त है आकाश में बादल गड़गड़ा रहे हैं मगर पानी नहीं बरस रहा है बिजली चमक रही है |
चारो ओर सन्नाटा है भला रात बारह बजे कौन जागे सभी गहरी नींद में सो रहे हैं गाँव के बीचो - बीच में एक झोपड़ी है वहाँ रात बारह बजे भी आवाज आ रही है परन्तु वो आवाज , आवाज नहीं इक तड़पन थी जो हर किसी के पास नहीं होती , कोई उसे पाना भी नहीं चाहता , हाँ मगर देखा बहुतो ने है कुछ ने सिर्फ देखा है कुछ ने अनुभव भी...
बुधवार, 29 मार्च 2017
शुक्रवार, 3 मार्च 2017
होली का त्यौहार है आया (कविता)
Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:41 am with No comments
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होली का त्यौहार है आया |
खुशिया झोली भरकर लाया |
बच्चो के मन में उल्लास जगा , अब हम नाचें
गायेंगें|
वृद्ध , जवाँ भी सोंच रहे कि जमकर मौज
उड़ायेंगें...
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