बुधवार, 7 सितंबर 2016

देश जहाँ में आगे बढ़ेगा(कविता)"ये वतन" पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:33 am with 2 comments
var uid = '154756'; var wid = '330588'; ये मेरा देश है मैं इस देश में रहता हूँ हिन्दू हो या मुस्लिम या कोई और हो सभी से मैं कहता हूँ कि ये हमारा देश है , हम इसके बच्चे हैं दिल के एकदम सच्चे हैं कोई भी धर्म हो , अपनी जगह सब अच्छे है देश हमारा दानी है , हम सब भिखारी हैं हम तो सिर्फ मुसाफिर हैं , var uid = '154756'; var wid = '330588'; देश हमारी गाड़ी है देश हमारा पेंड़...

इक कहानी थी (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:30 am with No comments
var uid = '154756'; var wid = '330588'; मैं तेरा राजा था , तु मेरी रानी थी | हम दोनों की इक कहानी थी जब इश्क की गलियों में मारा मुझे तूने थप्पड़ , न मैं तेरा राजा था , न तु मेरी रानी थी || वो तो स्वप्न की इक कहानी थी |||    var uid = '154756'; var wid = '330588';     (sc_adv_out = window.sc_adv_out || []).push({ id : "305069", domain : "n.ads1-adnow.com" ...

तूने दर्द दे दिया अरे वो बेहया(गजल)दर्द-ए-दिल"किताब"

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 3:04 am with No comments
var uid = '154756'; var wid = '330588'; तूने जो दर्द दिया वो सहते गये , तेरे चाहत के समुन्दर में बहते गये | तेरी नफरत के समुन्दर ने ऐसी हिलोर मारी , उस समुन्दर के हिलोर में सब चाहते ढहते गये | दब गया था गम के मलबे में फिर भी जी लिया तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया | var uid = '154756'; var wid = '330588'; तेरे याद में अपने घर को मैखाना बना ड़ाला , शराबों की बोतलों को राहो में सजा ड़ाला...