मंगलवार, 22 मई 2018

चप्पल खाने के बाद भी खड़े रहते हैं (हास्य शायरी) अवनीश कुमार मिश्रा

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 2:39 am with No comments

कोई जुल्फों से दिल को लुभाती है
कोई आँखों से गोली चलाती है
बराबर खर्च चलता रहे
इसलिए लड़कियाँ लड़कों को फंसाती हैं

हम तो कुत्ता हुए इनके प्यार में
इक चुम्मा था माँगा उधार में
वो धीरे से मेरे पास आयी
और और क्या इक चाँटा लगा दिया गाल में

दिल लगायें तो साला टूट जाता है
शरीर बेचारा लूट जाता है
बड़ा टेन्शन है इश्क में यारों
फंसे तो आशिक बेचारा कूट जाता है

पता नहीं क्यों लोग इश्क में पड़े रहते हैं
दिल टूटता है तो मयखाने में पड़े रहते हैं
अवनीश तो दिलवाले हैं यारों
चप्पल खाने के बाद भी खड़े रहते हैं

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें