सोमवार, 7 मई 2018

आँखें ही आँखों से दूर हो गई (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:44 pm with No comments

आँखें भरी हमारी थी
वो खूब हँस रहे थे
बेशर्म है बेचारा
कह तंज कस रहे थे
यकीन न था वो वो ही थी
जिसके लिए ये नयन बह रहे थे

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जिनके लिए जिया था
वो दूर हो गई
मेरी लाचार आँखें
मजबूर हो गई
कभी आँखों से बातें हुआ करती थी
आज आँखें ही आँखों से दूर हो गई

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टूटकर बिखर गई
ख्वाब जो हमारे थे
आँसू भी बिखर गई
जिसे प्यार से संभाले थे
ये अवनीश थे जो संभल गये
अच्छे - अच्छे ठेके के सहारे थे

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