हम चले थे मोहब्बत बाँटने (शायरी) "दर्दीला इश्क" पुस्तक Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 5:54 pm with No comments हम चले थे मोहब्बत बाँटने कुछ बाँटा और कुछ बाँटते ही रहे | जब आयी बारी अपनी मोहब्बत पाने की हम अपने सनम को ताकते ही रहे || आँखों से आँखें मिली जब कभी , डांटती रही वो हम डांट खाते रहे ||| इसका वीडियो देखने के लिए इस पर क्लिक करें इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करें Categories: दर्दीली शायरी
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