शुक्रवार, 3 मार्च 2017

होली का त्यौहार है आया (कविता)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 10:41 am with No comments

होली का त्यौहार है आया |

खुशिया झोली भरकर लाया |

बच्चो के मन में उल्लास जगा  , अब हम नाचें

गायेंगें|

वृद्ध ,  जवाँ भी सोंच रहे कि जमकर मौज

उड़ायेंगें |

बच्चों ने साफ कह दिया , सबका चैन उड़ायेंगें,

अबकी बार होली खेलने दूर - दूर तक जायेंगे|

कोई कहता है इस होली में महँगे कपड़े लाऊँगा |

कोई कहता है इस होली में गुझिया खूब खाऊँगा |

कोई कहता है इस होली को अपने घर नहीं

मनाऊँगा,

होली की छुट्टी पाते ही नानी के घर जाऊँगा|

गाँव के जिम्मेदार लोगों ने यह विचार बनाया है,

अबकी बार की होली में अबीर उड़ायेंगें|

खतरनाक रंगों को तजकर ,

प्राकृतिक होली मनायेंगें|

अवनीश कुमार मिश्रा ने भी सोचा है कि

जमकर धूम मचायेंगें |

गर न ला न सके अबीर तो होली नहीं मनायेंगें

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