खून में गर्मी है तो उबाल रखो
मगर अपनी जवानी संभाल रखो
जिगर में दम हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है
बस पर्वत लांघने का उछाल रखो
मोहब्बत करना कोई गुनाह नहीं है
मर्ज़ी उसकी भी हो, इसका ख़याल रखो
मुझसे नाराज़ हो, ये तो आपका हक है
मगर थोड़ी बहुत गुफ़्तगू तो बहाल रखो
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