गुरुवार, 17 अगस्त 2017

सनम बेवफा सनम हो गई (शायरी)

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:58 pm with No comments


इक दिन जब स्वप्न में तुम मेरी बाहों में सो गई ,

जमाना , रस्म क्या है सब भुला के खो गई |
मैं प्यार से तुमको सनम जानेमन कहा करता था ,
धोखा दिया स्वप्न ने सनम बेवफा सनम हो गई ||

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें