बुधवार, 7 सितंबर 2016

देश जहाँ में आगे बढ़ेगा(कविता)"ये वतन" पुस्तक

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 6:33 am with 2 comments

ये मेरा देश है

मैं इस देश में रहता हूँ

हिन्दू हो या मुस्लिम या कोई और हो

सभी से मैं कहता हूँ

कि ये हमारा देश है ,

हम इसके बच्चे हैं

दिल के एकदम सच्चे हैं

कोई भी धर्म हो ,

अपनी जगह सब अच्छे है

देश हमारा दानी है ,

हम सब भिखारी हैं

हम तो सिर्फ मुसाफिर हैं ,

देश हमारी गाड़ी है

देश हमारा पेंड़ है ,

हम सब उसके ड़ाली हैं

देश हमारा पौधा है ,

हम सब उसके बाली हैं

हम से देश बनेगा ,

तभी तो आगे बढ़ेगा

हम सब बनाऐंगे मंजिलें ,

तभी तो सींढ़ियाँ चढ़ेगा

एकता से रहो दोस्तों ,

देश जहाँ में आगे बढ़ेगा |


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