बुधवार, 7 सितंबर 2016

तूने दर्द दे दिया अरे वो बेहया(गजल)दर्द-ए-दिल"किताब"

Posted by अवनीश कुमार मिश्रा on 3:04 am with No comments
तूने जो दर्द दिया वो सहते गये ,

तेरे चाहत के समुन्दर में बहते गये |

तेरी नफरत के समुन्दर ने ऐसी हिलोर मारी ,

उस समुन्दर के हिलोर में सब चाहते ढहते गये |

दब गया था गम के मलबे में फिर भी जी लिया

तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |

तेरे याद में अपने घर को मैखाना बना ड़ाला ,

शराबों की बोतलों को राहो में सजा ड़ाला |

रातें जागी मैनें न जाने कितनी ,

अपने स्वर्णिम् शरीर को पागल बना ड़ाला |

शराबों गमों के बदले तूने मुझे क्या दिया

तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया ||

जिल्लत की जिन्दगी जीता रहा मैं ,

गम के आँसुओं को घुट - घुट पीता रहा मैं |

दरस न आयी तुम्हें मेरे वियोग रस पर ,

मोहब्बत में तेरे सुसुक - सुसुक के रोता रहा मैं |

अवनीश कुमार मिश्रा ने फरमाया,गम देने के लिए 

शुक्रिया

तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |||

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें