तूने जो दर्द दिया वो सहते गये ,
तेरे चाहत के समुन्दर में बहते गये |
तेरी नफरत के समुन्दर ने ऐसी हिलोर मारी ,
उस समुन्दर के हिलोर में सब चाहते ढहते गये |
दब गया था गम के मलबे में फिर भी जी लिया
तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |
तेरे याद में अपने घर को मैखाना बना ड़ाला ,
शराबों की बोतलों को राहो में सजा ड़ाला |
रातें जागी मैनें न जाने कितनी ,
अपने स्वर्णिम् शरीर को पागल बना ड़ाला |
शराबों गमों के बदले तूने मुझे क्या दिया
तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया ||
जिल्लत की जिन्दगी जीता रहा मैं ,
गम के आँसुओं को घुट - घुट पीता रहा मैं |
दरस न आयी तुम्हें मेरे वियोग रस पर ,
मोहब्बत में तेरे सुसुक - सुसुक के रोता रहा मैं |
अवनीश कुमार मिश्रा ने फरमाया,गम देने के लिए
शुक्रिया
तूने दर्द दे दिया , अरे वो बेहया |||
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